शिक्षकों का ब्लॉक स्तरीय एनीमिया मुक्त राजस्थान के तहत दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ
बन्शीलाल धाकड़
बड़ीसादड़ी। स्मार्ट हलचल/अनीमिया मुक्त विद्यार्थियों से भारत स्वस्थ व शक्तिशाली बनेगा। यह बात अनीमिया मुक्त राजस्थान कार्यक्रम के अन्तर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण में शिक्षक – शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय परिसर में बुधवार को कही। सीबीईओ चौबीसा ने कहा कि शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से ही विद्यार्थियों में एनीमिया को रोका जा सकता है। शिक्षक अपने विद्यालयों में इस अभियान को प्रभावी रूप से लागू करें और विद्यार्थियों को स्वस्थ एवं सशक्त बनाने में योगदान देने के निर्देश प्रदान किए। सीबीईओ चौबीसा ने कहा कि प्रशिक्षण ले रहें शिक्षक – शिक्षिकाओं को अपने – अपने विद्यालय में ब्रांड एंबेसेडर के रुप में कार्य करना चाहिए। प्रभारी शिक्षक यह सुनिश्चित करें कि सप्ताह में एक बार विद्यार्थी को आईएफए की गोली जरूर देवें। प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए जो चीजें अधिक खानी चाहिए उनके बारे में बता कर उन्हें प्रेरित करें। पोष्टिक आहार से एनीमिया का बहुत हद तक समाधान हो सकता है। पत्तेदार हरि सब्जियां, दालें अंकुरित अनाज, फल, आंवला व सलाद आदि भरपूर लेना चाहिए। बीसीएमओ ने बताया कि दो दिवसीय प्रशिक्षण को दो चरणों में विभाजित किया गया है। जिसमें ब्लॉक के शिक्षकों को क्रमिक रुप से एक – एक दिन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मुख्य प्रशिक्षक एवं अनीमिया मुक्त राजस्थान के क्षेत्रीय समन्वयक उदयपुर के घनश्याम सोनी ने बहुत ही रोचक तरीके से प्रशिक्षण देते हुए विद्यार्थियों को जंक फुड, पैक्ड फुड व कुरकुरे आदि के सेवन से बचने की सलाह दी। अनीमिया मुक्त राजस्थान के रीजनल मैनेजर घनश्याम सोनी ने कम उम्र में गर्भधारण से भी महिलाओं में एनीमिया का प्रमुख कारण बताया। सोनी ने महिलाओं को एक बच्चे के जन्म के बाद दूसरे बच्चे के जन्म में दो से तीन वर्ष का अन्तराल रखने की सलाह भी दी। बीसीएमओ डॉ. भावेश चंपावत ने एनीमिया के कारण व समाधान पर विस्तार से प्रकाश डाला। बीसीएमओ चंपावत ने राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि गंभीर बीमार जिसका हीमोग्लोबिन कम रहता है। उसे चिकित्सक को दिखा कर जांच करानी चाहिए। जांच में कोई गम्भीर बीमारी की वजह से हीमोग्लोबिन कम रहता है तो ऐसे बीमारों के लिए 5 से 6 हजार रुपये लागत का एफसीएम इंजेक्शन राज्य सरकार की ओर से सरकार अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध रहता है। बीसीएमओ चंपावत ने कहा कि विद्यार्थियों में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करने में शिक्षा विभाग का अहम सहयोग मिल रहा है। डॉ. चंपावत ने बताया कि आयरन की गोली को दूध के साथ नहीं लेना चाहिए। विद्यार्थियों को मध्यान भोजन के 1 घंटे बाद आयरन की गोली देनी चाहिए। बीसीएमओ डॉ. चंपावत ने थकान, कमज़ोरी, सिर दर्द, त्वचा का पीला होना, सांस लेने में तकलीफ़ को एनीमिया का लक्षण बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति को प्रकृति के साथ अपनी जीवनचर्या को जोड़ना चाहिए। डॉ. चंपावत ने कहा कि अधिकांश रोगों का कारण हमारी खराब लाइफ स्टाइल है। खराब लाइफ स्टाइल के कारण व्यक्ति अनेक बीमारियों के चंगुल में फसता जा रहा है। बिगड़ी जीवनचर्या व खान – पान में सुधार कर पुनः स्वास्थ्य को पाया जा सकता है। डॉ. चंपावत ने बताया कि हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए नियमित व्यायाम व योग को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। डॉ. भावेश चम्पावत ने जोर देकर कहा कि दर्द निवारक दवाओं का बिना चिकित्सक की सलाह के उपयोग नहीं करना चाहिए। प्रशिक्षण में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय के स्वास्थ्य प्रभारी मौजूद थे।