– सायला उपखण्ड के सिराणा ग्राम पंचायत का मामला
– आगनवाडी केंद्र-2 व केंद्र पाबूपुरा में बरती जा रही लापरवाही
आंगनबाड़ी केंद्रों पर काफी समय से नदारद रहती है कार्यकर्त्ता
सायला।स्मार्ट हलचल/उपखण्ड क्षेत्र के सिराणा ग्राम पंचायत में स्थानीय लोगों की मानें तो आंगनबाड़ी केंद्र महज औपचारिकता के लिए खुलते हैं। इसमें भी बच्चों की संख्या बहुत कम होती है। इसके अलावा इन केंद्रों पर शासन की ओर से जो सामान दिया गया है। उनको कार्यकर्ता अपने घर पर रखे हुए हैं। जिसका उपयोग बच्चों की जगह उनके परिजन कर रहे हैं। वहीं शासन द्वारा यहां के नौनिहालों के शारीरिक और मानसिक विकास की दिशा में और नौनिहालों को उचित पोषक आहार के साथ अच्छी प्रारंभिक शिक्षा मिल सके इसके लिए क्षेत्र में आंगनबाड़ी केंद्र खोले थे। लेकिन केंद्र पर कार्यरत कार्यकर्ता के साथ पर्यवेक्षक की अनदेखी के कारण आंगनबाड़ी केंद्र समय पर नहीं खुल रहे हैं। स्थिति यह है कि केंद्र के गेट पर ताले लटकते रहते हैं। जिसके कारण बच्चों के अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। ऐसा भी नहीं हैं कि आंगनबाड़ी केंद्र में बरती जा रही लापरवाही की खबर विभागीय अफसरों को पता न हो, उन्हे जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही हैं।
– बच्चों को नहीं मिल पा रहा पोषण आहार
स्थानीय लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि इलाके में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र कभी-कभार ही खुलते हैं। इस कारण से बच्चों को शासन की ओर से मिलने वाला पोषण आहार भी नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा जो पोषण आहार एक्सपायरी हो जाता है। उसको केंद्र के कर्मचारी कचरे और मवेशियों को फेंक देते हैं। सबसे अहम बात यह है कि यहां पर संबंधित पर्यवेक्षक जांच करने के लिए नहीं आती हैं। इस कारण से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हौंसले बुलंद हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग प्रदेश सरकार जहां एक और नौनिहाल और गर्भवती महिलाओं को लेकर सचेत है और उनके हित में विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं लागू कर भरपूर लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण सिराना केंद्र संख्या-2 व पाबूपुरा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मनमानी कर विभाग को चूना लगाने और उनकी योजनाओं को पलीता लगाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसका अंदाजा सुबह 11 बजते ही आंगनबाड़ी केन्द्रों पर हर रोज लटक रहे तालों व केन्द्र में बच्चों की खाली पड़ी कुर्सियो से लगाया जा सकता है। ऐसे में नौनिहाल और गर्भवती महिलाओं को सरकार की योजनाओं का लाभ कैसे मिल सकता है। इस तरह तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपना पेट भरती नजर आ रही हैं क्योंकि उन्हें किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के निरीक्षण का डर नहीं है।
गौरतलब है कि सिराणा ग्राम में 4 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। जिसमें से 2 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जो समय पर नहीं खुल रहे हैं। स्थिति यह है कि केंद्रों के खुलने का समय सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक का है। लेकिन केंद्र पर पदस्थ कार्यकर्ता केंद्र खुलने के समय कभी भी एक से दो घंटे के बीच केंद्र पर अपनी ड्यूटी करके चली जाती हैं। ऐसी स्थिति में कई बार तो बच्चे और अभिभावक केंद्र पर ताला लगा हुआ देखकर वापस लौट जाते हैं। साथ ही इन केंद्रों पर पिछले दो साल से न तो मंगल दिवस कार्यक्रम और न ही गर्भवती महिलाओं के कोई गोदभराई कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए हैं। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र की आंगनबाड़ी केंद्रों पर संबंधित विभाग का कोई अधिकारी निरीक्षण करने के लिए नहीं आता है। इस कारण आंगनबाड़ी केंद्रों पर पदस्थ कर्मचारियों के हौसले बुलंद हैं। वहीं इनके द्वारा बच्चों को खाने के लिए पोषण आहार नहीं बनाया जा रहा है।
इनका कहना –
हमने तो समय पर खोलने का आदेश दे रखा है फिर भी अगर नही खोलते है तो पता करती हु।
किरण गुर्जर सुपरवाइजर, महिला बाल विकास विभाग, सायला