Homeराजस्थानचित्तौड़गढ़गहलोत राज के एक और मंत्री मुसीबत में, जा सकते हैं जेल

गहलोत राज के एक और मंत्री मुसीबत में, जा सकते हैं जेल

1100 समितियों में गलत तरीके से व्यवस्थापक लगाए, एसीबी एफआईआर की तैयारी में।

ओम जैन

स्मार्ट हलचल|राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एक और घोटाला सामने आया है। प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री ओर चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा से विधायक रहे उदयलाल आंजना पर ग्राम सेवा सहकारी समितियों में गलत तरीके से व्यवस्थापकों की नियुक्ति करने का आरोप है। एसीबी राज्यपाल से अनुमति लेकर एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए काले कारनामे एक एक कर सामने आ रहे हैं। मौजूदा सरकार उन पर एक्शन भी ले रही है। पिछले दिनों पूर्व मंत्री डॉ. महेश जोशी 900 करोड़ रुपए के जल जीवन मिशन घोटाले में जेल गए थे। डॉ. जोशी अभी तक जमानत पर नहीं छूटे हैं। इससे पहले ही एक और तत्कालीन मंत्री की मुसीबत बढ़ने लगी है।
बता दे कि गहलोत राज में मंत्री रहे उदयलाल आंजना का एक बड़ा मामला सामने आया है। इस प्रकरण में एसीबी ने पूर्व मंत्री के खिलाफ एक्शन लेने की तैयारी कर ली है। आंजना पूर्व में विधायक रहे इसके चलते एफआईआर से पहले राज्यपाल से अनुमति मांगी गई है।

जानिए कैसे किया भ्रष्टाचार

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय उदयलाल आंजना सहकारिता मंत्री रहे। उनके कार्यकाल के दौरान ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों की नियुक्तियां हुई थी। इन नियुक्तियों में भारी फर्जीवाड़ा किया गया। एक हजार से ज्यादा व्यवस्थापकों की नियुक्ति गलत तरीके से कर दी गई। जिसकी एसीबी को शिकायतें मिली है कि लोगों से रुपए लेकर उन्हें नियुक्तियां प्रदान की गई। प्रदेश में करीब 7 हजार ग्राम सेवा सहकारी समितियां हैं जिनमें से करीब 1100 समितियों में गलत तरीके से व्यवस्थापक लगाए गए।
वही दूसरी ओर ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों और सेल्स मैनेजरों की नियुक्तियों के लिए जिला और उपखंड स्तर पर स्क्रीनिंग कमेटियां बनाई गई। इन कमेटियों ने सारे नियम कायदे ताक पर रखते हुए मनमर्जी से नियुक्तियां कर दी। अपात्र लोगों को ही व्यवस्थापक यानी मैनेजर बना दिया गया। जिला स्तर पर बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटियों में जिला कलेक्टर को प्रशासक नहीं बनाया गया। नियुक्ति की अंतिम मुहर सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार के बजाय उपखंड स्तर यानी एसडीएम के जरिए की गई।
एसीबी के डीजी डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा का कहना है कि राज्यपाल महोदय से अनुमति मिलने के बाद एफआईआर दर्ज करके एक्शन लेंगे।

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