सशक्त बेटियाँ ही सशक्त भारत की नींव हैं” का दिया संदेश
शाहपुरा@(किशन वैष्णव) अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बीलिया में शनिवार को एक प्रेरणादायक पहल की गई। विद्यालय प्रशासन ने पूरे दिन का संचालन बालिकाओं को सौंपकर यह संदेश दिया कि जब बेटियों को जिम्मेदारी दी जाती है,तो वे हर क्षेत्र में उत्कृष्टता दिखाने में सक्षम हैं।इस मौके पर कक्षा 12 वीं की छात्रा कोमल गुर्जर ने विद्यालय की कार्यवाहक प्रधानाचार्य का दायित्व संभाला, जबकि कक्षा 8 की तमन्ना लोहार ने उपप्रधानाचार्य के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। दोनों छात्राओं ने दिनभर प्रशासनिक कार्य, कक्षा निरीक्षण, अनुशासन व्यवस्था और शिक्षण कार्यक्रमों का संचालन कुशलतापूर्वक किया।कार्यक्रम में विद्यालय सभा में कोमल गुर्जर और तमन्ना ने पूरे स्टाफ और छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा आज हमें यह समझ आया कि जिम्मेदारी निभाना केवल पद प्राप्त करना नहीं, बल्कि सभी के प्रति समर्पण और निर्णय क्षमता रखना भी उतना ही आवश्यक है।इसके बाद दोनों छात्राओं ने शिक्षक परिषद की बैठक ली, जिसमें उन्होंने विद्यालय में स्वच्छता, पुस्तकालय सुधार, पेयजल व्यवस्था, छात्राओं के लिए सुरक्षा उपाय और खेल संसाधनों की उपलब्धता जैसे मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने छात्राओं की समस्याओं को सुना और उनके समाधान के सुझाव भी दिए।विद्यालय में इस अवसर पर ‘बेटियाँ राष्ट्र निर्माण की शक्ति’ विषय पर भाषण एवं निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। कई छात्राओं ने अपने विचार रखते हुए बताया कि कैसे शिक्षा और आत्मनिर्भरता ही महिला सशक्तिकरण की वास्तविक पहचान है।विद्यालय के प्रिंसिपल रज्ज़ुद्दीन खान ने कहा कि बालिकाएं आज हर क्षेत्र में आगे हैं। यदि उन्हें समान अवसर और विश्वास दिया जाए, तो वे समाज के हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा सकती हैं। कोमल और तमन्ना जैसी छात्राएँ हमारे लिए गर्व का विषय हैं।
वरिष्ठ अध्यापिका मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से बेटियों में आत्मविश्वास, निर्णय लेने की क्षमता और टीम भावना विकसित होती है। उन्होंने कहा कि विद्यालय की हर छात्रा में भविष्य की नेता बनने की क्षमता है।इस अवसर पर मोहन लाल, सीताराम,करतार सिंह,गोपाल लाल,कुलदीप, महेंद्र सिंह, घनश्याम, बबलू, बलवीर , प्रताप सिंह, मोहन बेरवा, रामस्वरूप भांभी, कैलाश चंद्र गुर्जर सहित समस्त शिक्षक एवं शिक्षिकाएँ उपस्थित रहे।विद्यालय में बालिकाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों, कविताओं और समूह गीतों के माध्यम से समाज को संदेश दिया कि “बेटियाँ अब बोझ नहीं, बल्कि परिवर्तन की सबसे बड़ी शक्ति हैं।


