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अंतिम सफर में भी मुश्किले, विकास के बड़े दावे फेल, ग्रामीण क्षेत्रों में शमशान घाट हो रहे है बदहाली का शिकार

आजादी के वर्षो बाद भी नही सुधरे हालात, करेडा के अलगवास और केमरी गांव के श्मशान घाटों की दुर्दशा

राजेश कोठारी
करेडा । भले ही सरकार विकास के बडे-बडे दावे किए जा रहे हो लेकिन आजादी के बाद भी उप खंड क्षेत्र के गावों में श्मशानघाट की बदहाली व मार्ग को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है लेकिन इसका समाधान कोई नही कर पा रहा है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला गुरूवार को जब उपखंड क्षेत्र के भभाणा ग्राम पंचायत के अलगवास व आमदला ग्राम पंचायत के केमरी गावं में रास्ते में भरे तीन से चार फीट पानी में से ग्रामीणों को अर्थी लेकर गुजरना पडा जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। गुरुवार को केमरी गांव में कांता देवी प्रजापत की मौत होने पर श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए ले जाते समय काफी समस्या का सामना करना पड़ा वही मौके की स्थिति को देखकर शासन प्रशासन की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है। इस समस्या को लेकर प्रशासन व जनप्रतिनिधियो को भी अवगत कराया मगर आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जिससे समस्या जस की तस बनी हुई है। इधर ग्रामीणों ने प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए बताया कि श्मशानघाट आस्था व संस्कार का स्थल है न कोई जमीन का टुकडा। ग्रामीणों ने तो यहां तक तजं कसते हुए बताया कि सरकार गावों में विकास के दावे करती है मगर श्मशानघाट जैसी संवेदनशील स्थान पर मूलभूत सुविधाएं नहीं है यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य है ।

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