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अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह में महाविद्यालय में मनाया गया अनुशासन दिवस, छात्रों ने लिया संकल्प

शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
राजकीय प्रताप सिंह बारहठ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के छठे दिवस को अनुशासन दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में कॉलेज के छात्र-छात्राओं के अलावा शिक्षक और अन्य अतिथिगण भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर बहिन उर्मिला कुम्हार ने अणुव्रत गीत का संगान कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जिससे वातावरण अत्यंत प्रेरणादायक बन गया।
कार्यक्रम में मार्गदर्शक रंगकर्मी सचिना रामप्रसाद पारीक ने अनुशासन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन में अनुशासन का पालन व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाता है। पारीक ने उदाहरण देते हुए बताया कि बिना पूछे अनावश्यक बोलने से व्यक्ति की छवि पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, समय सीमा का ध्यान न रखना किसी भी कार्य की सफलता को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह केवल शिक्षा या परीक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है। “अनुशासन हमारे व्यवहार, सोच और समय प्रबंधन का मूल आधार है। यह हमें व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही रूपों में श्रेष्ठ बनाता है,” पारीक ने स्पष्ट किया।
मुख्य वक्ता तेजपाल उपाध्याय ने अनुशासन के महत्व और वर्तमान समय में युवा पीढ़ी विशेषकर जेन-जेनरेशन के सामने आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि अनुशासन केवल नियमों का पालन करना नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने का मार्ग है। उपाध्याय ने कहा कि अणुव्रत और अनुशासन एक-दूसरे के पर्याय हैं। यदि व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन को अपनाता है तो वह अपने व्यक्तित्व और स्वभाव में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उन्होंने युवाओं को अनुशासन के माध्यम से जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में मंत्री गोपाल लाल पंचोली ने अणुव्रत आंदोलन की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का उद्देश्य समाज में अच्छे और सुसंस्कृत नागरिक तैयार करना है। अणुव्रत का मूल सिद्धांत यह है कि व्यक्ति अपनी सोच और स्वभाव को बदल सकता है, बशर्ते वह अपने भीतर उठने वाले भावों को पहचान सके। व्यक्ति को अनावश्यक और अनुपयोगी विचारों को त्याग कर उपयोगी और सकारात्मक विचारों को अपनाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि अणुव्रत के संकल्प को जीवन में अपनाकर वे न केवल स्वयं का जीवन सुधार सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
कार्यक्रम में अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा ने अणुव्रत के संकल्प दिलाए और छात्रों को अनुशासन के पालन के लिए प्रेरित किया। उपाध्यक्ष अखिल व्यास ने कार्यक्रम के सफल आयोजन में सहयोग करने वाले सभी अतिथियों और शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर तोरण सिंह जी ने किया।
कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं ने अणुव्रत के सिद्धांतों और अनुशासन के महत्व को समझते हुए अपने जीवन में अनुशासन अपनाने का संकल्प लिया। उन्होंने यह संकल्प किया कि वे अपने दैनिक जीवन में समय का सही उपयोग करेंगे, अनावश्यक वाद-विवाद और विवादों से दूर रहेंगे तथा अपने कार्यों में नियमों और अनुशासन का पालन करेंगे।
विशेष रूप से यह देखा गया कि कार्यक्रम ने छात्रों में आत्म-संयम, जिम्मेदारी और सकारात्मक सोच को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अणुव्रत और अनुशासन के माध्यम से जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने और उन्हें हल करने की प्रेरणा विद्यार्थियों को मिली। कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि अनुशासन केवल बाहरी नियंत्रण का नाम नहीं, बल्कि यह व्यक्ति के आंतरिक विकास और आत्म-नियंत्रण का माध्यम है।
कार्यक्रम का समापन छात्रों द्वारा अणुव्रत संकल्प का दोहराव करने और सामूहिक रूप से अनुशासन अपनाने के वचन के साथ हुआ। आयोजकों ने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों को नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें अपने व्यक्तित्व और व्यवहार में सुधार लाने के लिए भी प्रेरित करते हैं।

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