Appeal for caste census in Tamil Nadu:मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की ओर से पेश प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार को जनगणना का काम तत्काल शुरू करना चाहिए जो 2021 से लंबित है. प्रस्ताव में कहा गया कि साथ ही इस बार जाति आधारित गणना भी कराई जानी चाहिए. प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘सदन का मानना है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा, अर्थव्यवस्था और रोजगार में समान अधिकार और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनाने के वास्ते जाति आधारित जनगणना आवश्यक है.’’
भाजपा ने किया समर्थन
भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया. मुख्य विपक्षी दल अखिल भारतीय द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के सदस्यों की अनुपस्थिति में सदन में इसे पारित किया गया. अन्नाद्रमुक के विधायकों को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के कारण विधानसभा से निलंबित किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावू ने कहा कि प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया.
सदन केंद्र सरकार से जनगणना का आग्रह करता है
संकल्प आदेश में आगे कहा गया है, “इसलिए, यह सदन सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से जनगणना का काम तुरंत शुरू करने का आग्रह करता है, जो इस बार जाति-आधारित जनसंख्या जनगणना के साथ-साथ वर्ष 2021 से होने वाली है.”
इससे पहले दिन में, तमिलनाडु के विपक्ष के नेता (एलओपी) एडप्पादी पलानीस्वामी और कई अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) विधायकों को पूरे विधानसभा सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था. यह निलंबन तमिलनाडु विधानसभा में बुधवार को पारित एक प्रस्ताव के बाद हुआ.
जहरीली शराब त्रासदी पर द्रमुक सरकार के खिलाफ नारे
यह निलंबन तब हुआ जब अन्नाद्रमुक विधायकों ने कल्लाकुरिची जहरीली शराब त्रासदी पर द्रमुक सरकार के खिलाफ नारे लगाए और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के इस्तीफे की मांग की. हालाँकि, बुधवार को सदन से बहिर्गमन करने वाली अन्नाद्रमुक ने कहा कि वे जाति जनगणना के पक्ष में हैं लेकिन कल्लाकच्छी में पीड़ितों के लिए अपना समर्थन दिखाना चाहते थे.
तमिलनाडु के स्पीकर एम. अप्पावु ने विधानसभा की कार्यवाही बाधित करने वाले एआईएडीएमके विधायकों को बाहर करने का आदेश दिया. विधायकों ने प्रश्नोत्तर सत्र को स्थगित करने की मांग की थी और त्रासदी पर नारे लगाते रहे.