शाहपुरा@(किशन वैष्णव)राज्य सरकार द्वारा बेटियों को आर्थिक संबल देने के उद्देश्य से शुरू की गई मुख्यमंत्री राजश्री योजना एक गरीब परिवार के लिए संघर्ष का कारण बन गई है। खामोर निवासी भंवर लाल पिता छोगा लाल जाट अपनी पुत्री विशाखा जाट की तीसरी किस्त पाने के लिए पिछले कई वर्षों से शिक्षा विभाग, विद्यालय प्रशासन और शिकायत पोर्टलों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। विशाखा जाट का जन्म 13 अगस्त 2016 को सेटेलाइट हॉस्पिटल शाहपुरा में हुआ था। योजना के अंतर्गत पहली और दूसरी किस्त के 2500–2500 रुपये समय पर मिल चुके, परन्तु प्रथम कक्षा में नियमित प्रवेश पर मिलने वाली तीसरी किस्त 4,000 रुपये आज तक नहीं मिली,जबकि बालिका वर्तमान में पांचवीं कक्षा में अध्ययनरत है।परिजनों ने बताया कि सत्र 2021-22 में ही बेटी के अध्ययनरत विद्यालय राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, घरटा, तहसील बनेड़ा में सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करवा दिए गए थे और शाला दर्पण पोर्टल पर पूरा रिकॉर्ड सही ढंग से दर्ज कर दिया गया था। जब लंबे समय तक किश्त नहीं आई, तो परिवार ने विद्यालय में लिखित रूप से शिकायत देकर जानकारी मांगी, जिस पर स्कूल प्रशासन ने बताया कि उनके स्तर से रिपोर्ट पहले ही “लॉक” कर दी गई है, यानी स्कूल की सभी औपचारिकताएं पूरी होकर फाइल संबंधित विभाग को भेजी जा चुकी है। इसके बाद भी भुगतान नहीं हुआ और कोई अधिकारी यह बताने को तैयार नहीं है कि राशि आखिर अटकी कहां है।निराश पिता ने समाधान की आस में 181 हेल्पलाइन पर 10 से 12 बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला, वास्तविक समाधान नहीं निकला। गरीब परिवार आज भी चार हजार रुपये की तीसरी किश्त के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है।भंवर लाल का कहना है कि सरकारी दिशा-निर्देश बताते हैं कि मुख्यमंत्री राजश्री योजना में बालिकाओं को जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक कुल 50 हजार रुपये तक की सहायता किस्तों में दी जाती है। नियम यह कहता है कि प्रथम कक्षा में नियमित प्रवेश होते ही विद्यालय द्वारा शाला दर्पण पोर्टल पर रिपोर्ट लॉक की जाती है और इसके पश्चात विभागीय सत्यापन के बाद डीबीटी प्रणाली के माध्यम से राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में स्वतः ट्रांसफर की जानी चाहिए। नियमों के अनुसार परिवार को इसके लिए अलग से कोई आवेदन नहीं देना पड़ता और न ही किसी अतिरिक्त प्रक्रिया से गुजरना होता है,परंतु भंवर लाल जाट के मामले में यह पूरी प्रक्रिया बेअसर साबित हो रही है।भंवर लाल का दर्द है कि “जब नियम के अनुसार सब कुछ पूरा हो चुका है, तो फिर मेरी बेटी की 4 हजार की राशि क्यों नहीं मिली।उनका कहना है कि जब तीसरी किश्त ही नहीं मिल पा रही,तो छठी कक्षा में प्रवेश पर मिलने वाली चौथी किश्त को लेकर भी भरोसा डगमगा गया है।परिवार ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से गुहार लगाई है कि मामले का तुरंत संज्ञान लेकर नियमों के तहत लंबित तीसरी किस्त जारी करवाई जाए, ताकि पात्र बालिका विशाखा जाट को उसका वैधानिक अधिकार मिल सके और एक गरीब पिता को अपने ही हक के लिए यूं भटकना न पड़े।


