Homeराजस्थानअलवरकठूमर क्षेत्र की आबादी साढे तीन लाख होने के वावजूद भी नही...

कठूमर क्षेत्र की आबादी साढे तीन लाख होने के वावजूद भी नही है ब्लड बैंक की व्यवस्था

ब्लड के अभाव में हर साल चली जाती हैं अनेक जान

सिजेरियन डिलीवरी व एक्सीडेंट केसों में अत्यधिक रक्तस्राव के चलते कर दिया जाता रैफर

दिनेश लेखी

कठूमर। स्मार्ट हलचल । उपखंड क्षेत्र के दो बड़े सरकारी अस्पताल खेरली सीएचसी को उपजिला अस्पताल और कठूमर को आदर्श सीएचसी में क्रमोन्नत तो किया जा चुका है। लेकिन सुविधाओं के लिहाज से देखा जाए तो ये साधारण सीएचसी की ही तरह है। और इन अस्पतालों सहित पूरे उपखंड क्षेत्र में ब्लड बैंक नहीं होने की वजह से हर साल सैंकड़ों मरीजों की जान चली जाती है।

उल्लेखनीय है, कि इन दोनों अस्पतालों में करीब पन्द्रह सौ मरीजों की प्रतिदिन की ओपीडी होती है। और सैंकड़ों महिलाओं की महिने में डिलेवरी भी होती है। इसके अलावा हर महीने अनेक दुर्धटना भी हो जाती है। जिनको‌ ब्लड की बहुत आवश्यकता होती है। लेकिन ब्लड यहां उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजो को आगे रैफर किया जाता है लेकिन अस्पताल तक पहुंचते पहुंचते मरीज दम तोड देता है।

खेरली सीएचसी में ब्लड स्टोरेज तो है लेकिन वहां तीन चार यूनिट से ज्यादा ब्लड नहीं मिलता है। लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि मरीज को उससे सम्बन्धित ग्रुप का ब्लड मिल जाये । कभी कभी यह स्टोरेज शून्य हो जाता है। किसी मरीज को ब्लड की अर्जेंट आवश्यकता हो तो नहीं मिल पाता और डिमांड होने पर जिला अस्पताल से मंगाया जाता है। इस प्रक्रिया में दो दिन तक लग जाते हैं। तब तक मरीज के साथ किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। इधर कठूमर सीएचसी पर भी ब्लड स्नटोरेज नहीं हीं है। जबकि कठूमर सीएचसी एक माह में सबसे ज्यादा डिलेवरी करने के मामले में जिले के शीर्ष अस्पतालों में शामिल हैं। ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी को रैफर करना पड़ता है।
क्षेत्र में एक्सीडेंट केसों में शिकार ज्यादातर लोगो को अत्यधिक रक्तस्राव के चलते रैफर कर दिया जाता है लेकिन ऐसे मरीज रास्ते में ही दम तोड देते हैं।

इन दिनों डेंगू, मलेरिया बुखार बना रहता है और मरीज की प्लेटलेट्स कम हो जाती है और ब्लड व आर बी डी की विशेष आवश्यकता रहती है, लेकिन ब्लड यहां उपलब्ध नहीं होने के कारण या तो मरीज को ज्यादातर रैफर किया जाता है या फिर ब्लड की कमी के चलते मरीज दिक्कत में रहता है।

इनका क्या कहना:-

निश्चित रूप से लोगों को ब्लड के लिए 75 किमी दूर भरतपुर या अलवर जाना पड़ता है, जोकि अनेक लोगों के लिए बहुत मुश्किल काम है।हालांकि अलवर जिले में जिला मुख्यालय पर ही ब्लड बैंक है। लेकिन स्थानीय आवश्यकताओ को देखते हुए इसको लेकर चिकित्सा अधिकारियों से चर्चा कर सरकार से गंभीरता से प्रयास किये जाएंगे।
रमेश खींची विधायक कठूमर

उपखंड क्षेत्र में ब्लड बैंक की विशेष आवश्यकता है,हर साल सैंकड़ों मरीज ब्लड के लिए बाहर रैफर किये‌ जाते हैं। इनमें से कईयो की तो जान चली जाती है। प्रसुता महिलाओं की सिजेरियन डिलिवरी भी नहीं होती है।
हरवीर सिंह चौधरी सरपंच टिटपुरी

उपखंड क्षेत्र मे खेरली, कठूमर सहित ग्रामीण इलाकों में हर साल रक्तदान शिविर लगायें जाते हैं, जिनमें सैंकड़ों यूनिट रक्त एकत्रित होता है। लेकिन यहां ब्लड बैंक नहीं होने से ये ब्लड जयपुर, अलवर, या भरतपुर के ब्लैड बैंकों को देना पड़ता है। यदि यहां ब्लड बैंक स्थापित हो जाये तो यहां भी जरुरतमंदों को ब्लड दिया जाकर उनकी जान बच सकती है।
महेश जाटव कठूमर

उपखंड के खेरली स्थित उपजिला अस्पताल में ब्लड स्टोरेज स्थित है, डिमांड के आधार पर अलवर स्थित जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से ब्लड मंगा लिया जाता है, और यही लगा दिया जाता है। क्षेत्र में सड़क दुघर्टना मे लगातार इजाफा को देखते हुए व अन्य बीमारियों के लिए ब्लड जरूरी होने व अब उपजिला अस्पताल में क्रमोन्नत होने के कारण भी एक ब्लड बैंक की आवश्यकता हो गई है। इसके लिए उच्च अधिकारियों से चर्चा कर प्रपोजल भिजवा देंगे।
डॉ अंकित जेटली प्रभारी सीएचसी खेरली

इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से बात कर कठूमर में ब्लड स्टोरेज की मांग रखी जाएगी।
डॉ जवाहर लाल सैनी प्रभारी सीएचसी कठूमर

ब्लड बैंक के लिए पर्याप्त जमीन व पैथोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी लिस्ट तथा लैब टैक्नीशियन की आवश्यकता होती है। ये सुविधाएं अगर हो तो हम ऐसे प्रपोजल को आगे जयपुर भेज देंगे। ब्लड स्टोरेज से प्रसुता महिलाओं व दुर्घटनाग्रस्त लोगों को फायदा मिल सकता है। इन्हें आवश्यकतानुसार ब्लड लगाकर आगे रैफर किया जा सकता है।
डॉ योगेन्द्र शर्मा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अलवर

फैक्ट तथ्य
यहां करीब साढ़े तीन लाख की आबादी के बीच हर माह प्रसुता महिलाओं, दुर्घटना में घायल लोगों व अन्य बीमारियों कैंसर, डेंगू आदि के लिए करीब सौ से डेढ सौ यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है। जबकि यह सुविधा पास के कस्बों में भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में लोगों को जयपुर, भरतपुर, अलवर जाना पड़ता है। ये सभी शहर 75 किमी से एक सौ किमी दूर पड़ते हैं।जिसमें प्राइवेट ब्लड बैंक से एक यूनिट ब्लड लेने में साढ़े बारह सौ रुपए तथा बदले में ब्लड भी डोनेट करना पड़ता है।कई बाहर जाने में निर्धन व्यक्ति
सक्षम नहीं होते है। और पर्याप्त ईलाज व‌ ब्लड के अभाव में मरीज धीरे-धीरे अपनी जिंदगी खो बैठता है। कठूमर सीएचसी पर ब्लड स्टोरेज बन जाये तो कम से कम बाहर से ब्लड लाकर यहां लगाया जा सकता है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
logo
AD dharti Putra
RELATED ARTICLES