पुनित चपलोत
भीलवाड़ा। हाथों में हरे-भरे पौधे और ‘अरावली बचाओ-भविष्य बचाओ’ व ‘आवाज उठी है गली-गली, अरावली बचाओ’ लिखे पोस्टरों के साथ जब हजारों लोग सड़क पर उतरे, तो नजारा देखते ही बना। अरावली के अस्तित्व पर मंडराते खतरों के खिलाफ ‘अरावली बचाओ संघर्ष समिति’ के आह्वान पर मंगलवार को भीलवाड़ा में सर्वसमाज ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की।
सामाजिक सद्भाव की अनूठी मिसाल
सूचना केंद्र से कलेक्ट्रेट तक निकाली गई इस विशाल रैली में वस्त्रनगरी के सामाजिक सद्भाव का अनूठा उदाहरण देखने को मिला। रैली में जाट, ब्राह्मण, राजपूत, गुर्जर, माली-सैनी, तेली, खटीक, मेघवाल, भील, जैन, माहेश्वरी, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदाय के लोग कंधे से कंधा मिलाकर चले। व्यापारिक संगठनों, किसान यूनियनों और महिला संगठनों की सक्रिय भागीदारी ने इसे एक व्यापक जन-आंदोलन का रूप दे दिया।
अवैध खनन और नीतियों के खिलाफ रोष
संघर्ष समिति के प्रतिनिधि नारायण भदाला ने संबोधित करते हुए कहा कि अरावली पर्वतमाला हमारे जल स्रोतों और पर्यावरण की रीढ़ है। सरकार द्वारा इसकी परिभाषा में संभावित बदलाव और लगातार हो रहे अवैध खनन से इस पर्वत श्रृंखला का वजूद खतरे में है। रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि अरावली के सीने को छलनी करना बंद नहीं किया गया, तो यह आंदोलन भविष्य में और उग्र रूप धारण करेगा।
ज्ञापन सौंपकर की प्रभावी कार्रवाई की मांग
सूचना केंद्र से शुरू हुई यह रैली कलेक्ट्रेट पहुंचकर एक विशाल सभा में तब्दील हो गई। यहाँ प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और अरावली संरक्षण हेतु कड़े कदम उठाने की मांग की। रैली के दौरान हर हाथ में पर्यावरण संरक्षण का संकल्प और चेहरों पर अपनी प्राकृतिक विरासत को बचाने की अटूट प्रतिबद्धता दिखाई दी।


