राजेश कोठारी
करेड़ा। जन जन की आस्था का केंद्र है आजनेश्वर महादेव जो उप खंड मुख्यालय से 30 किमी दूर देवगढ़ मार्ग पर पर्वत श्रंखला व वन्य क्षेत्र की घाटियों में एक ऐसा स्थान है जहां आज भी हमारी प्राचीन संस्कृति व विरासत के अवशेष विधमान है। इसी में से एक स्थान है आजनेश्वर महादेव जहां प्राचीन गुफा में विद्यमान है आजनेश्वर महादेव जहां कहा जाता है कि माता अंजना की यह तपस्या स्थली है। जिससे ये स्थल लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।यह स्थान कुदरती चट्टानों से गिरा होने से अत्यन्त रमणीक स्थल बना हुआ है जहां प्राकृतिक संरचनाओं में गुफाएं स्थित हैं। जिनको ऋषि मुनियों द्वारा तपोभूमि के रूप में उपयोग किया जाता है।गुफा के बाहर गुंबज के बाहीं ओर चट्टान के ऊपर पिछे जाने का मार्ग है जहां चारों ओर का दृश्य बडा ही मनोरम नजर आता है। इन्हीं चट्टानों के ऊपर एक नुकुली चट्टान सीधी खडी दिखाई देती है जहां करीब 20 फीट ऊंची इस चट्टान पर त्रिशूल स्थापित है जो दूर से आनजेश्वर महादेव की पहचान बताता है।
वहीं एक दूसरी चट्टान है जहां पर शिलालेखों पर ब्रह्माजी , दत्तात्रेय एव देवगढ मंदारिया के तत्कालीन शासकों के विषय में जानकारी अंकित है। वहीं गुफा के सामने एक प्राचीन कुण्ड है जिसके लिए कहा जाता है कि कितना भी अकाल पड जाये मगर पानी कभी नहीं सुखता है और भीषण गर्मी में भी पानी ठंडा रहता है
वहीं यहां पर महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का भी आयोजन होता है । तो पूरे श्रावण मास महिने में भी भक्तों की रेलमपेल रहती हैं । यह स्थान अनेक विशेषताओं के साथ अति प्राचीन काल से मेवाड की विरासत को सहेज हुए आस्था का केंद्र बना है। और लोक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने अपना वनवास भी यहीं काटा था। यहां पर विभिन्न समाजों की धर्मशालाएं भी बनी हुई है। सबसे खास तो यह है कि बारिश के मौसम में यहां का नजारा देखते ही बनता है जिसे देखने के लिए दूरदराज से लोग यहां पर आते हैं