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दीपक कुमार गैरोला ने डॉल्फिन संस्थान में खगोल विज्ञान कार्यशाला का किया उद्घाटन

डॉल्फिन (पी.जी.) संस्थान एवं दून विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय “स्टेलर एंड सोलर फिज़िक्स” कार्यशाला का शुभारंभ

देहरादून, 6 अक्टूबर 2025 — स्मार्ट हलचल|डॉल्फिन (पी.जी.) इंस्टिट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नेचुरल साइंसेज़, देहरादून में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “स्टेलर एंड सोलर फिज़िक्स” का शुभारंभ आज श्री दीपक कुमार गैरोला, सचिव, संस्कृत शिक्षा विभाग, उत्तराखंड सरकार द्वारा किया गया। यह कार्यशाला दून विश्वविद्यालय, देहरादून के सहयोग से आयोजित की जा रही है और इसमें देशभर के प्रमुख खगोल वैज्ञानिक, अध्यापक और शोधार्थी भाग ले रहे हैं।

अपने उद्घाटन संबोधन में श्री गैरोला ने कहा कि “आकाश हमारे विद्यार्थियों की सीमा नहीं, बल्कि उनकी प्रयोगशाला है।” उन्होंने आगे कहा कि “ब्रह्मांड का अध्ययन भारत की प्राचीन सभ्यता की आत्मा में निहित है — जहाँ हमारे ऋषियों ने भोजपत्रों पर आकाश का मानचित्र बनाया, वहीं आज हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष दूरबीनों से तारों को निहार रहे हैं। यदि हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनी सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि के साथ जोड़ दें, तो हम ऐसी पीढ़ी तैयार कर सकते हैं जो प्राचीन और आधुनिक, स्थानीय और वैश्विक को जोड़ने का कार्य करेगी।”

उन्होंने इस आयोजन को उत्तराखंड में वैज्ञानिक चेतना और खगोल अनुसंधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया और कहा कि राज्य के युवाओं में अपार प्रतिभा है जिसे इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से और निखारा जा सकता है।

कार्यशाला का शुभारंभ डॉ. शैलजा पंत, प्राचार्य, डॉल्फिन संस्थान के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह कार्यशाला युवा विद्यार्थियों के लिए अंतरिक्ष विज्ञान की गहराइयों को समझने का उत्कृष्ट अवसर है।

डॉ. आशीष रतूड़ी, संयोजक एवं एनईपी 2020 तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) प्रकोष्ठ के समन्वयक ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की और बताया कि यह आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप अंतरविषयी शिक्षण एवं खगोल जनजागरण को बढ़ावा देने का प्रयास है।

डॉ. अनुपम भारद्वाज, वैज्ञानिक (आईयूसीएए, पुणे) एवं कार्यशाला के सह-संयोजक ने “सौर और तारकीय खगोल भौतिकी की मूलभूत अवधारणाएँ” विषय पर उद्घाटन व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि आधुनिक अवलोकन तकनीकों के माध्यम से अब सौर गतिविधियों और तारकीय विकास को अधिक सटीकता से समझना संभव हुआ है।

डॉ. हिमानी शर्मा, विभागाध्यक्ष, भौतिकी विभाग, दून विश्वविद्यालय ने अकादमिक एवं अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से खगोल शिक्षा के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया।
अतिथि सम्मानित प्रो. हेमवती नंदन, विभागाध्यक्ष, भौतिकी विभाग, एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय, ने विद्यार्थियों को कम्प्यूटेशनल और डेटा-आधारित अनुसंधान अपनाने के लिए प्रेरित किया।

इस अवसर पर डॉ. ज्ञानेंद्र अवस्थी, डीन (एकेडमिक्स), एवं डॉ. श्रुति शर्मा, आईक्यूएसी (IQAC) समन्वयक, डॉल्फिन संस्थान भी उपस्थित रहीं। उन्होंने इस अकादमिक पहल की सराहना करते हुए इसे विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक बताया।

कार्यक्रम का समापन प्रो. वर्षा पारचा, डीन (अनुसंधान), डॉल्फिन संस्थान द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

पहले दिन कार्यशाला में डॉ. अनुपम भारद्वाज (आईयूसीएए, पुणे), डॉ. सौरभ शर्मा एवं डॉ. वीरेंद्र यादव (एरीज़, नैनीताल), डॉ. बलेंद्र प्रताप सिंह (यूपीईएस, देहरादून) और डॉ. कौशल शर्मा (आईयूसीएए एसोसिएट) द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। इन सत्रों में तारों के गठन, संकुचित पिंडों (कंपैक्ट ऑब्जेक्ट्स) और अवलोकनात्मक खगोल विज्ञान पर विस्तृत चर्चा हुई। शाम को प्रतिभागियों के लिए रात्रिकालीन दूरबीन अवलोकन सत्र आयोजित किया गया।

कार्यशाला 8 अक्टूबर 2025 तक चलेगी, जिसमें सौर आंकड़ा विश्लेषण, तारकीय संरचना मॉडलिंग, तथा खगोल शिक्षण और जनजागरण पर तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे। यह आयोजन न केवल प्रतिभागियों को खगोल विज्ञान की व्यावहारिक समझ देगा बल्कि उत्तराखंड में विज्ञान और अनुसंधान के प्रति नई चेतना और उत्साह का संचार करेगा।

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