गिरधर पाराशर
तिलस्वां।स्मार्ट हलचल/महादेव मंदिर परिसर में आयोजित राम कथा के चौथे दिन में कथा व्यास गौवत्स सत्यनारायण महाराज ने बताया कि नाम जप से ही भगवत प्राप्ति संभव है| इस कलयुग में नाम जपने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है| नाम जप करने में नाम का चिंतन, नाम की निरंतरता, निष्कामता, नाम परायणता, नाम में विश्वास, नाम से प्रेम और नाम की गोपनीयता आदि बातों का पालन करना चाहिए| भगवान स्वयं कहते हैं कि जो मनुष्य छल कपट छोड़कर मेरे सन्मुख आते हैं, मैं उनके कोटि जन्मों के पापों को नष्ट कर देता हूं| इस कलयुग में भगवान की पाँच रूप से पूजा की जाती है पररूप, अर्चारूप, अंतर्यामी रूप, व्यूह रूप और विभव रूप से पूजा की जाती है| महाराज ने बताया कि बिना गुरु के भगवत प्राप्ति नहीं हो सकती है| भगवान को बुलाने पर दौड़ते हुए अपने भक्तों का संकट दूर करने के लिए चले आते हैं| राजा दशरथ के बुलाने पर ही राम ने अवतार लिया था| श्रृंगी ऋषि द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ किया गया| राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों का प्राकट्य हुआ| गुरु वशिष्ठ द्वारा नामकरण संस्कार किया गया|भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया| विश्वामित्र द्वारा अपने यज्ञ की रक्षा हेतु राम और लक्ष्मण को वन में ले जाने के लिए आना तथा दशरथ के द्वारा बहुत मना करना| वशिष्ठ द्वारा समझाने पर राम लक्षमण को भेजना| यह कथा किसी व्यक्तिगत यजमान की न होकर सार्वजनिक रूप से की जा रही है|