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दर्शकों में निराशा ही नहीं पूरे देश मे कोटा की साख को लगा बट्टा : गुंजल

मेला किसी दल या सरकार की बपौती नहीं

कोटा :स्मार्ट हलचल|कोटा रावण दहन की घटना को लेकर पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने निगम प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस शहर ने सर्दियों की परम्परा को कल निभाया है, लंबे समय से यह परम्परा पूरे देश में कोटा की एक विशिष्ट पहचान बनी है। सदियों से न जाने कितने लोगों के अथक प्रयासो से यह मेला राष्ट्रीय स्वरूप को प्राप्त कर पाया है।
गुंजल ने कहा कि इतने लंबे समय में रावण ने अपनी ऊंचाई का विश्व रिकॉर्ड तो कायम कर लिया लेकिन कल की घटना ने पूरे देश में हमको शर्मसार कर दिया, उन्होंने कहा कि जिस जिज्ञासा से पूरा हाडोती नहीं पूरा राजस्थान खुद मुख्यमंत्री वहां उपस्थित थे, वहां रात 9:00 बजे जलने वाला रावण रात 12:00 तक जलाया जाता रहा। जिससे दर्शकों को ही निराशा नहीं हुई बल्कि पूरे देश में कोटा की साख को बट्टा लगा है। गुंजल ने कहा मुझे तकलीफ है कि कल की घटना ने कोटा को शर्मसार किया है इसकी जवाबदेही व जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

यह मेला आम आदमी का मेला बना रहे इसकी चिंता करें बिरला जी

प्रहलाद गुंजल ने कहा कि यहां के जनप्रतिनिधि होने के नाते मैं स्पीकर ओम बिरला जी से कहना चाहता हूं कि आपको याद होगा जब खुले मैदान में मेला लगता था तो गांव से आने वाले लोग दो-चार दिन तक यहां रुक कर मेला घुमा करते थे। उन्होंने कहा है कि जिस दिन इस मेले के मैदान को प्रगति मैदान का बहाना बनाकर खराब किया जा रहा था उस दिन भी मैंने विरोध करते हुए कहा था कि व्यापारिक मानसिकता के लोग इस मेले को मोल ना बनाएं, मुझे तकलीफ है कि पशु मेले की जगह आप इवेंट कंपनियों को टेंडर दे रहे हो।बिरला जी आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि आज भी हिंदुस्तान में फुटकर दुकान से सामान खरीदने वाले उपभोक्ताओं का टर्नओवर रिलायंस से 10 गुना ज्यादा है। आपने उस मेले के स्वरूप को ही खत्म कर दिया आम आदमी के मेले को माल की शक्ल में परिवर्तित कर दिया।आज गरीब व आमआदमी के बदले इवेंट कंपनियों के हवाले होता जा रहा है कोटा का दशहरा मेला।

दुकानों के अलॉटमेंट में भी भेदभाव

गुंजल ने मेले में दुकानें देने में भी भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि आज मेला आम आदमी का मेला रहा ही नहीं, जो दुकानदार आ रहे हैं उनमें से किसको देना है किसको नहीं देना यह राजनीतिक स्तर पर तय हो रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग सालों से उम्मीद लगाकर आ रहे हैं, देश के छोटे व्यापारी जो उम्मीद लगाए कोटा के मेले में आते हैं दरीपट्टी बिछाकर अपना सामान बेचा करते थे, हाडोती का गरीब आदमी आता था और मेले में खरीदारी करता था, मेला ग्रामीण अंचल के गरीब लोगों से चला करता था। उसकी भव्यता, उसकी सुंदरता, उसका स्वरूप उससे बना करता था आज मेले को इवेंट कंपनियों से, कॉर्पोरेट कंपनियों से कोऑर्डिनेट करके उसके स्वरूप का सत्यानाश करने का प्रयास किया जा रहा है। उस मेले का स्वरूप ही खराब कर दिया उसे माल की शक्ल में बदल दिया।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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