Homeभीलवाड़ाआयुर्वेद की ओर बढ़ता विश्वास- शाहपुरा में 10 दिवसीय निःशुल्क अंतरंग आयुर्वेद...

आयुर्वेद की ओर बढ़ता विश्वास- शाहपुरा में 10 दिवसीय निःशुल्क अंतरंग आयुर्वेद शल्य चिकित्सा शिविर बना स्वास्थ्य क्रांति का आधार

आयुष ही भविष्य की चिकित्सा पद्धति है-वैद्य हंसराज चोधरी
शाहपुरा। मूलचन्द पेसवानी
जब आधुनिक जीवनशैली के कारण बीमारियां बढ़ती जा रही हों और महंगे इलाज आमजन की पहुंच से बाहर होते जा रहे हों, ऐसे समय में आयुर्वेद एक बार फिर मानवता के लिए संजीवनी बनकर उभर रहा है। इसी कड़ी में शाहपुरा में आयोजित 10 दिवसीय निःशुल्क अंतरंग आयुर्वेद शल्य चिकित्सा शिविर न केवल रोगियों के लिए राहत का माध्यम बना है, बल्कि आयुर्वेद को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सशक्त और प्रेरणादायक पहल के रूप में सामने आया है।
यह शिविर राष्ट्रीय आयुष मिशन, आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग, श्री रामनिवास धाम ट्रस्ट तथा भारत विकास परिषद शाखा शाहपुरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत आयोजित इस शिविर का उद्देश्य ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के उन रोगियों तक आयुर्वेदिक चिकित्सा पहुंचाना है, जो आर्थिक या अन्य कारणों से उपचार से वंचित रह जाते हैं।
आयुर्वेद केवल प्राचीन पद्धति नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक जीवनशैली है, जो रोग के मूल कारण को पहचानकर उपचार करता है। शाहपुरा में चल रहे इस शिविर में यह बात व्यवहारिक रूप से देखने को मिल रही है। यहां अर्श, भगंदर, पाइल्स, फिस्टुला जैसे जटिल और पीड़ादायक रोगों का आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धति से सुरक्षित, प्रभावी और निःशुल्क उपचार किया जा रहा है। बिना महंगे उपकरणों और रासायनिक दवाओं के, प्राकृतिक विधियों से रोगियों को राहत मिलना आयुर्वेद की शक्ति को प्रमाणित करता है।
शुक्रवार को शिविर के चैथे दिन राज्य सरकार द्वारा अधिकृत नवग्रह वेलनेस सेंटर के संस्थापक वैद्य हंसराज चोधरी का शिविर में आगमन हुआ। उन्होंने न केवल रोगियों से संवाद किया, बल्कि चिकित्सकों और स्वयंसेवकों को आयुर्वेदिक सेवा के प्रति प्रेरित किया। वैद्य चैधरी ने कहा कि “आयुर्वेद भारत की आत्मा है। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा आयुष को बढ़ावा देने के प्रयासों से आज आमजन का भरोसा फिर से इस पद्धति पर लौट रहा है।”
उन्होंने शिविर के लिए बजट बढ़ाए जाने पर सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे शिविरों से आयुर्वेद को नई पहचान और नई पीढ़ी को दिशा मिल रही है। उन्होंने आयुर्वेद परंपरा के पुर्नजीवित होने पर सरकार का आभार ज्ञापित किया।
शिविर प्रभारी डॉ. नारायण सिंह के अनुसार अब तक 3000 से अधिक रोगी शिविर में पंजीकरण करवा चुके हैं। इनमें से 55 रोगियों के सफल ऑपरेशन किए जा चुके हैं। यह आंकड़े केवल संख्या नहीं, बल्कि आयुर्वेद के प्रति बढ़ते विश्वास और जनस्वीकृति का प्रमाण हैं।
इस शिविर की विशेषता यह है कि यहां केवल रोग का उपचार नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली पर भी जोर दिया जा रहा है। रोगियों को क्वाथ वितरण, योगाभ्यास, पंचकर्म चिकित्सा, स्वर्णप्राशन
के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दिशा में मार्गदर्शन दिया जा रहा है। इससे स्पष्ट है कि आयुर्वेद बीमारी के बाद नहीं, बल्कि बीमारी से पहले सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। इस अवसर पर डॉ. जलदीप पथिक, भाविप के अध्यक्ष पवन बांगड़, जयदेव जोशी, संचिना कला संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक, महासचिव सत्येंद्र मंडेला की उपस्थिति ने शिविर की गरिमा को और बढ़ाया।
शाहपुरा जैसे अर्ध-ग्रामीण क्षेत्र में इस प्रकार का शिविर यह साबित करता है कि आयुर्वेद केवल वैकल्पिक चिकित्सा नहीं, बल्कि मुख्यधारा की चिकित्सा प्रणाली बनने की क्षमता रखता है। कम खर्च, कम दुष्प्रभाव और स्थायी लाभकृये सभी गुण आयुर्वेद को आमजन के लिए सबसे उपयुक्त बनाते हैं।
शाहपुरा में आयोजित यह 10 दिवसीय निःशुल्क अंतरंग आयुर्वेद शल्य चिकित्सा शिविर केवल एक चिकित्सा कार्यक्रम नहीं, बल्कि आयुर्वेद के पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह शिविर संदेश देता है कि यदि सरकार, समाज और चिकित्सक मिलकर कार्य करें, तो आयुर्वेद देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ बन सकता है। निस्संदेह, शाहपुरा की यह पहल आने वाले समय में अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा बनेगी और आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगी।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
news paper logo
RELATED ARTICLES