भीलवाड़ा । भीलवाड़ा सहित राजस्थान में बुधवार को बड़े ही धूमधाम से बछ बारस का पर्व मनाया गया. इस दिन गाया और बछड़े की पूजा की जाती है. वहीं, भीलवाड़ा के गुरलां गांव में बछ बारस पर महिलाओं ने गाय की बछड़े की पूजा कर अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना कर पूजा अर्चना की. इस दिन परिवार में सब्जी नहीं काटी जाती है. मक्का की रोटी गाय को खिलाई. महिलाओं ने भी मक्का की रोटी के व्यंजन बनाकर खाए. गुरलां कस्बे में बछ बारस पर गाय व बछड़े की पूजा कर महिलाओं ने अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना की ।
अंकुरित दान का उपयोग
बुजुर्गों के अनुसार, बछ बारस की पूजा केवल बेटों की माताएं ही करती हैं, इस दिन महिलाएं गाय के दूध से बनी किसी भी प्रोडेक्ट का सेवन नहीं करती हैं. साथ ही लोहे से काटा गया व गेहूं का उपयोग भी नहीं करती हैं. महिलाएं बाजरे या मक्के की रोटी खाती हैं. भैंस या बकरी के दूध का तथा अंकुरित धान का उपयोग करती हैं.
कस्बे में बुधवार को महिलाओं द्वारा धार्मिक पर्व बछ बारस धूमधाम से मनाया. इस दौरान महिलाओं ने गाय और बछड़े की पूजा करके संतान की लंबी उम्र व परिवार में खुशहाली की कामना की गई. कस्बे के मायला बाजार बड़े मंदिर के पास महिलाओं को कथा वाचक मीरा सेन ने कथा सुनाई ।
महिलाओ ने बछ बारस का पर्व हर्षोल्लास से मनाया. बछ बारस के दिन महिलाओं ने गाय बछड़े की विधि विधान से पूजा अर्चना कर बछ बारस की कथा सुनी. इस मौके पर मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की गई और श्रद्धांलुओं ने गायों को हरा चारा खिलाकर पुण्य कमाया. महिलाओं ने व्रत रखकर गाय-बछड़ों की पूजा की और परिवार की खुशहाली की कामना की
बछ बारस का पर्व बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया..यह त्योहार महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए मनाती हैं, आज भी परंपराओं का निर्वहन होता है. विभिन्न दंत कथाओं पर आधारित त्योहार पूरे विधि-विधान से मनाए जाते हैं, उन्ही में से एक खास त्योहार बछ बारस का है. यह त्योहार माताओं द्वारा अपने पुत्र के लंबी उम्र व स्वस्थ जीवन के लिए मनाया जाता है, परंपराओं के अनुसार, इस दिन उस गाय की पूजा की जाती है. जिस गाय को बेटा यानी बछड़ा हो, भीलवाड़ा शहर सहित जिले भर में बछ बारस के त्योहार को धूमधाम से मनाया गया, अल सुबह से ही महिलाओं ने गाय व बछड़े की पूजा की, विधिवत पूजा करने के बाद दिन भर महिलाओ ने पर्व के रिवाज के अनुसार खान पान किया ।
महिलाओं ने बताया कि बछ बारस पर महिलाएं गाय और बछड़े की पूजा करके अपने बच्चों की लंबी उम्र अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं. महिलाएं इस दिन मक्का व ज्वार से बने आटे की रोटी व अन्य चीजें खाती हैं. गेहूं व अन्य चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. महिलाएं व्रत रखती हैं व कहानी सुनकर व्रत खोलती हैं. गुरलां गांव में बछ बारस पर महिलाओं ने उपवास रखकर गाय व बछड़े की पूजा कर परिवार की सुख शांति व पुत्रों की लम्बी उम्र की कामना की. महिलाओं ने उपवास रखकर ज्वार, बाजरे, मक्का के आटे से पकवान बनाए.