सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ):- सवाईपुर क्षेत्र के बड़लियास कस्बे में बड़े चारभुजा नाथ मंदिर प्रांगण पर आयोजित संगीतमय में रामलीला में तीसरे दिन तड़का वध, मारीच सुबाहु वध, अहिल्या उद्धार गंगा अवतरण का मंचन किया । बड़े चारभुजा नाथ मंदिर पर हिंदू सत्य सनातन कला मंडल काशी प्रयाग, उत्तर प्रदेश के कलाकारों के द्वारा रामलीला का आयोजन किया जा रहा है । जिसमें तीसरे दिन सोमवार रात्रि को विश्वामित्र जी राम लछमन को लेकर अपने आश्रम के लिए प्रस्थान करते है और रास्ते में भयानक राक्षसी तड़का मिलती है तो गुरूदेव कहते है कि हे राम इसका वध करो तो प्रभु राम कहते हैं कि हे गुरुदेव तड़का एक नारी है और सयन कर रही है और हम एक क्षत्रिय हैं इसका वध किस प्रकार से करे पाप होगा तो गुरुदेव कहते है कि हे राम नारी तो वह है जो कि नर को उत्पन्न करें और जो नर का भक्छर करे वो नारी नही हो सकती, इसलिए इसका वध करने में कोई पाप नहीं है, तब प्रभु राम तड़का का वध करते हैं और आश्रम पर पहुंचकर यज्ञ प्रारंभ करते हैं जैसे ही मारीच सुबाहु यज्ञ खण्डित करने के लिए आते हैं तो उनका भी वध करते हैं और जब यज्ञ सम्पन्न होता है तब विश्वामित्र जी कहते है कि हे राम तुम दोनों भाईयों की सहायता से मेरी यज्ञ सम्पन्न हुई अब कहो तो मैं आप दोनों भाईयों को आप के राज्य वापस छोड़ दू या तो जनकपुर से निमंत्रण पत्र आया है, महाराज जनक जी अपने पुत्री सीता का स्वयंवर कर रहे हैं यदि आप की इच्छा हो तो मेरे साथ चल सकते हो उसी समय राम लक्ष्मण गुरूदेव के साथ जनकपुर प्रस्थान करते रास्ते में गौतम ऋषि का आश्रम आता है, तब प्रभु राम गुरूदेव से पुछते है कि हे गुरुदेव ये कैसा आश्रम है जहां पर न तो पशु, पक्षी है और पुरा का पुरा ऊजरा हुआ है और पत्थर के रूप नारी की शीला दिखाई और यह तुलसी का वृक्ष हरा भरा है, तब विश्वामित्र जी बताते हैं कि हे राम यह गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या है और यह तुलसी का वृक्ष उसकी जीवित आत्मा जो कि गौतम ऋषि के श्राप के कारण पत्थर की शीला के रूप में पड़ी हुई है और तब से आज तक यह आप का रास्ता देख रही है इसलिए इसे अपना चरण स्पर्श कर इसका उद्धार करो तब प्रभु राम जी कहते है कि हे प्रभू में एक ब्राह्मण नारी के ऊपर अपना चरण कैसे रख सकता हूं, आप तो मुझे धर्म के लिए लाए हैं और ये अधर्म करने के लिए कह रहे हैं ये अपराध होगा तब गुरुदेव कहते हैं कि हे राम नर नही अपितु नारायण बन कर इसका उद्धार करो इसमें कोई पाप नहीं होगा, तब प्रभु अहिल्या का उद्धार करते हैं और आगे चलकर गंगा स्नान कर के रात्रि विश्राम करते है ।।