ओम जैन
शंभूपुरा।स्मार्ट हलचल|गंगरार उपखंड मुख्यालय पर स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय का जहाँ पर सर्व शिक्षा विभाग के तत्वाधान पूरे जिले के बैग यहां एक कमरे में रखे गए थे। 2008 में वसुंधरा सरकार में आये आवासीय छात्राओं के बैग समय पर वितरित न होने से सारे के सारे बर्बाद हो गए है। जिनकी कुल संख्या करीब 22 हजार है। जिनकी लागत करीब 12 लाख से भी अधिक है इतना ही नही 2008 में आचार संहिता के बाद से ही जिले भर में छात्राओं को वितरित किये जाने वाले निशुल्क बेग धूल बन गए है। ये सभी बेग 2008 से ही कस्तूरबा गांधी विद्यालय के एक कमरे में ताला लगा कर रखे थे। सरकारी आई सरकारी गई पर बेग ताले में बंद रहे। जानकारी में यह भी आया कि उस दौरान इन बैगों का भुगतान ठेकेदार को नहीं किया गया है और न ही जिला कार्यालय द्वारा किसी प्रकार की रसीद दी गई। सारे के सारे बैंग खराब हो चुके हैं जो किसी काम के नहीं रहे। कस्तूरबा आवासीय विद्यालय छात्रावास के एक कमरे को विगत 17 वर्षों से सील बंद कर ताला लगा रखा है। जिसमें छात्राओं के बैठने में दिक्कत हो रही है। साथ ही बंद कमरे से जहरीले जीव जंतु भी निकल रहे हैं। जिससे छात्राओं की जान को खतरा बना रहता है।
इसकी सूचना अधिकारियों भी दी गई साथ ही एक वर्ष पूर्व इस समस्या को लेकर का मीडिया अपनी आवाज बुलंद करते हुए समाचार पत्रों में समाचार भी प्रकाशित किए थे। उसके बावजूद भी हालात जस के तस बने रहे। ना तो किसी प्रकार से जिला स्तरीय अधिकारियों ने सुध ली और ना ही कोई कार्यवाही हुई। वही शुक्रवार को उपखंड मुख्यालय पर ग्राम पंचायत में आयोजित शिविर में जब यह बात विधायक के सामने आई तो उन्होंने तुरंत प्रभाव से गंगरार ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और तहसीलदार पुष्पेंद्र सिंह राजावत को टीम गठन कर इस कमरे का ताला तुड़वा कर निस्तारित करने को कहा। जिसपर आज ब्लॉक स्तरीय अधिकारी छात्रावास पहुचे ओर ताला तोड़ा गया। ताला तोड़ने पर कमरे के भीतर रखे बेग कबाड़ हो गए, जिस पर आज अधिकारियों के द्वारा इन सभी का निस्तारण कर नष्ट किया जाने की बात कही।
बात यह नही की कमरे में रखा सामान नष्ट किया जाना है पर प्रश्न यह उठता है कि सरकार के इन लाखो रुपये की बर्बादी का आखिर जिम्मेदार कौन है।


