(बजरंग आचार्य)
- बिना सामान मंगाए ही कागजों में कर दिया भुगतान, बिहार के चारा घोटाले की तर्ज पर धांधली का आरोप
- निदेशालय के आदेश के बावजूद 7 दिन की जाँच महीनों से अटकी, साक्ष्य मिटाने की जताई आशंका
सादुलपुर-स्मार्ट हलचल| नगरपालिका राजगढ़ में विकास कार्यों के नाम पर राजकीय धन के दुरुपयोग का एक बड़ा मामला गरमाता जा रहा है। सोमवार को पूर्व पार्षद प्रमोद कुमार पूनियां ने उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर नगरपालिका में हुए 35,32,500 रुपये के ‘नॉन वूवन कैरी बैग’ खरीद घोटाले की लंबित जाँच को तत्काल पूर्ण करने की मांग उठाई। पूनियां ने इस पूरे प्रकरण को बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले की तर्ज पर किया गया भ्रष्टाचार करार दिया है।
नियमों को ताक पर रखकर हुआ भुगतान
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष, अधिशासी अधिकारी, वरिष्ठ सहायक और स्टोर शाखा के प्रभारियों ने मिलीभगत कर एक संगठित आपराधिक षडयंत्र रचा। आरोप है कि राजस्थान ट्रेडर्स, रॉयल सप्लायर्स, आदित्य कंस्ट्रक्शन कंपनी और गणपति एंटरप्राइजेज के साथ मिलकर बिना किसी सामग्री की आपूर्ति के ही लाखों रुपये के फर्जी बिल स्वीकृत कर दिए गए। प्रार्थी के अनुसार, राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता अधिनियम (आरटीपीपी एक्ट) के नियमों का उल्लंघन कर राजकोष को भारी क्षति पहुँचाई गई है।
निदेशालय के आदेशों की अवहेलना
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वायत्त शासन विभाग, जयपुर के निदेशक ने 25 जुलाई को एक आदेश जारी कर उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में जाँच कमेटी गठित की थी। इस कमेटी को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी जाँच पूर्ण नहीं हो सकी है। पूर्व पार्षद ने आरोप लगाया कि जाँच में जानबूझकर देरी की जा रही है ताकि दोषियों को बचाया जा सके।
साक्ष्य नष्ट करने का प्रयास
सोमवार को सौंपे गए ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि जाँच में विलंब के कारण आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और नगरपालिका रिकॉर्ड से साक्ष्यों को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रार्थी ने मांग की है कि राजकीय राशि के गबन के इस गंभीर मामले की जाँच रिपोर्ट तुरंत निदेशालय को भेजी जाए, ताकि दोषियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा सके।


