खाकी की लापरवाही लोगो की जान पर पड़ी भारी, खूनी संघर्ष में आधा दर्जन से ज्यादा घायल
पुनित चपलोत
भीलवाड़ा । जिले के कोटड़ी क्षेत्र में बडलियास थाना अंतर्गत बनास नदी के किनारे सोपुरा और आसपास के गांवों में बजरी खनन को लेकर ग्रामीणों और लीजधारक पक्ष के बीच भयंकर मारपीट हो गई। लीजधारक के लोग रास्ता बनाने और खनन शुरू करने की तैयारी कर रहे थे, तभी ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। दोनों पक्षों में लाठी-डंडों से जमकर हाथापाई हुई, जिसमें लीजधारक पक्ष के आधा दर्जन लोग बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें जिला अस्पताल रेफर करना पड़ा। आरोप है कि कुछ कथित हिस्ट्रीशीटर और स्थानीय बदमाशों ने भी ग्रामीणों पर हमला किया, जबकि सोशल मीडिया पर सक्रिय कुछ गुंडे तत्वों के इस विवाद में शामिल होने की बात भी सामने आ रही है।यह कोई छोटी-मोटी घटना नहीं थी – यह एक बड़ी हिंसक झड़प थी, जिसमें दोनों तरफ के लोग घायल हुए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद स्थानीय पुलिस को पहले से कोई भनक क्यों नहीं लगी? बडलियास थाना क्षेत्र में पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल क्यों साबित हो रहा है? जिला पुलिस अधीक्षक के सख्त निर्देशों और लगातार चल रहे अभियानों के बावजूद ऐसी घटनाएं क्यों घटित हो रही हैं?बनास नदी में बजरी खनन का यह विवाद वर्षों पुराना है। सोपुरा सहित आसपास के ग्रामीण दशकों से इस नदी को अपनी खेती की ‘लाइफलाइन’ मानकर इसका संरक्षण करते आए हैं। सैकड़ों शिकायतों और विरोध के बावजूद खनन विभाग लीज स्वीकृत कर देता है, जिससे लीजधारक और ग्रामीणों के बीच लगातार टकराव बना रहता है। हाल के दिनों में भी कोटड़ी क्षेत्र के चाँदगढ़ में वैध-अवैध खनन के खिलाफ ग्रामीणों ने धरना दिया डंपर रोके, प्रदर्शन किए और प्रशासन को ज्ञापन सौंपे। आरोप है कि लीजधारक हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए मशीनों का दुरुपयोग कर रहे हैं।पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी के पीछे कई कारण दिखाई देते हैं – क्षेत्र में खनन माफिया के साथ कुछ स्थानीय तत्वों की मिलीभगत के आरोप लगते रहते हैं; थाना स्तर पर खुफिया जानकारी जुटाने के लिए पर्याप्त स्टाफ और नेटवर्क की कमी है भी इसका कारण है; खनन जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक दबाव के चलते कार्रवाई में ढील पड़ती है; और सबसे बड़ा कारण धनबल व बाहुबल का खेल, जहां माफिया सूचनाएं लीक करवा देते हैं या पुलिस को गुमराह कर देते हैं।बनास नदी भीलवाड़ा का एक महत्वपूर्ण जलस्रोत है, लेकिन वैध-अवैध खनन से इसका पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है, भूजल स्तर गिर रहा है और स्थानीय कृषि पर गहरा असर पड़ रहा है। जिला प्रशासन व पुलिस ने अवैध खनन पर कई कार्रवाइयां की हैं – वाहनों की जब्ती, मुकदमे दर्ज किए – लेकिन बड़ी घटनाओं को पहले ही रोकने में खुफिया तंत्र की कमजोरी साफ नजर आ रही है।आखिर ग्रामीणों की वर्षों पुरानी मांग – नदी को ठेके पर न देने की – को बार-बार अनसुना क्यों किया जा रहा? क्या धनबल और बाहुबल के आगे कानून-व्यवस्था बेबस हो चुकी है? प्रशासन कब जागेगा, खुफिया तंत्र को मजबूत करेगा और ऐसी घटनाओं को पहले ही रोकेगा? नहीं तो बनास नदी की यह लूट और इसका ‘चीरहरण’ यूँ ही जारी रहेगा, जबकि इसके बीच ग्रामीण पिसते रहेंगे ?
तीन दर्जन से अधिक लोगों ने धारदार हथियारों से किया हमला
जिले के बड़लियास थाना क्षेत्र के सोपुरा के समीप अड़सीपुरा में रविवार शाम बजरी लीज साइट पर नदी से रास्ता साफ करने के दौरान करीब 3 दर्जन से अधिक हमलावरों ने जेसीबी से रास्ता साफ करा रहे लोगों पर लाठियों, सरियों और धारदार हथियारों से जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में करीब आधा दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।मिली जानकारी के अनुसार अड़सीपुरा में बजरी लीज पर जेसीबी मशीन से रास्ता साफ करवाया जा रहा था। इसी दौरान बड़ी संख्या में हथियारों से लैस हमलावर वहां पहुंचे और अचानक हमला बोल दिया।
हमलावर पूरी तैयारी के साथ आए और कर दिया ताबड़तोड़ हमला
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर पूरी तैयारी के साथ आए थे और उन्होंने देखते ही देखते वहां मौजूद लोगों पर ताबड़तोड़ हमला करना शुरू कर दिया। हमलावरों ने मौके पर खड़े वाहनों में भी जमकर तोड़फोड़ की। इस खूनी संघर्ष में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। 5 घायलों को भीलवाड़ा जिला अस्पताल लाया गया, जबकि 2 से 3 घायलों का शहर के निजी अस्पतालों में उपचार चल रहा है। घायलों में नरेश विश्नोई पिता अमरचंद विश्नोई ,जितेंद्र सिंह पिता लूणा सिंह ,अनिल पिता बंशीलाल डिडवानिया, भरत पिता देवचंद विश्नोई, अभिषेक पिता राजू विश्नोई को जिला अस्पताल लाया गया । जहां से सभी को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।


