बांग्लादेश आरक्षण की आग में जल रहा था। आरक्षण के विरोध में बांग्लादेश के स्टूडेंट सड़कों पर उतर आए थे। प्रदर्शन धीरे-धीरे बढ़कर उग्र हो गया और इसमं 133 लोगों की मौत भी हो गई। शेख हसीना सरकार भी हालात को संभाल पाने में विफल साबित हो गई। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आरक्षण के फैसले को पलट दिया है।
आरक्षण की आग में बांग्लादेश झुलस रहा है. झड़पों में कई लोगों के मारे जाने और सैकड़ों के घायल होने के बाद पुलिस ने राजधानी के कई हिस्सों में गश्त के दौरान बांग्लादेश में सख्त कर्फ्यू लगा दिया. साथ ही पुलिस को उपद्रवियों को “देखते ही गोली मार देने” का आदेश दिया गया है. सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव और सांसद ओबैदुल कादर ने बताया कि कर्फ्यू आधी रात को शुरू हुआ और दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक लोगों को जरूरी काम निपटाने के लिए इसमें ढील दी गई. इस दौरान अधिकारियों को चरम मामलों में भीड़ पर गोली चलाने की अनुमति होगी.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश की राजधानी ढाका की सुनसान सड़कों पर शनिवार को सैनिकों ने गश्त की और सरकार ने सभी कार्यालयों और संस्थानों को दो दिनों के लिए बंद रखने का आदेश दिया. सरकारी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान इस सप्ताह कम से कम 114 लोगों की मौत हो गई थी.
ये रहा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मामले में फैसला सुनाते हुए अब नौकरी में कोटा को रद्द कर दिया है। अब 93 फीसदी सरकारी नौकरियों में कोई कोटा नहीं रहेगा और योग्यता के आधार पर इसमें चयन होगा। जबकि 7 फीसदी नौकरियां 1971 की जंग में मारे गए स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिए छोड़ दिया गया है। अब तक इनके लिए 30 फीसदी नौकरियां आरक्षित रखी गईं थीं। रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने ये बड़ा निर्णय लिया है।