शाहपुरा @(किशन वैष्णव)श्री प्रतापसिंह बारहठ राजकीय महाविद्यालय शाहपुरा, भीलवाड़ा में डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की 134 वीं जयंती के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के तत्त्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि के रुप में प्रो. श्री संतोष आनन्द जी तथा अध्यक्ष के रुप में प्रो. काश्मीर भट्ट उपस्थित रहे। डाॅ. भीमराव अम्बेडकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व के पक्षों में महान भारतीय बुद्धिजीवी, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, मानवतावादी, लेखक और समाज सुधारक, वक्ता जैसी कई झलकियाँ नजर आती है। उनमें सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए दृढ़शीलता थी जिसके लिए उन्होनें अपना जीवन लगा दिया। अम्बेडकर जी की भूमिका भारतीय संविधान के निर्माण से लेकर रिजर्व बैंक के गठन तक, सामाजिक न्याय की स्थापना से लेकर महिलाओं को मुख्यधारा में लाने तक कई मायनों में है।
मुख्य अतिथि संतोष जी ने अपने व्याख्यान में अम्बेडकर जी के जीवन के कई अनछुए-अनसुने किस्से बताकर सिद्ध किया कि अम्बेडकर जी का जीवन केवल वंचित वर्ग तक ही सीमित न होकर सम्पूर्ण भारतवर्ष के सुनहरे पुनरुत्थान तक है। प्रो. काश्मीर भट्ट ने अध्यक्षीय भाषण में महर्षि वाल्मीकि, वेदव्यास, रविदास आदि के उदाहरणों से बताया कि सर्वसमाज को जोड़ने वाली कड़ियाँ भी मौजूद है, बस उन्हें पहचानकर व्यवहार में लाने की देरी है।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. मूलचन्द खटीक द्वारा किया गया। उन्होनें कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियाँ ‘‘हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए‘‘ तथा संविधान की प्रस्तावना के माध्यम से सामाजिक समरसता की बात करी। डाॅ. रंजीत जगरिया, इकाई सचिव ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रो. रामावतार मीना, प्रो. धर्मनारायण वैष्णव सह प्रचार प्रमुख, प्रो. प्रवीण टांक, डाॅ. हंसराज सोनी, प्रो. प्रियंका ढाका, प्रो. दलवीर सिंह, प्रो. अतुल जोशी, प्रो. नीरज शर्मा तथा महाविद्यालय के अन्य गणमान्य सदस्य, छात्र-छात्राएँ व शाहपुरा के स्थानीय निवासी उपस्थित रहे।