बदनोर। अविनाश चंदेल
बदनोर। लहसुन अपनी विशिष्ट गुणवत्ता और बंपर उत्पादन के कारण प्रसिद्ध है। गुलाबी लाल लहसुन के नाम से पहचाने जाने वाले लहसुन में इसमें पदों की संख्या ग्यारह होती ती है। स्वाद तीखा और तेज होता है। अन्य लहसुन की अपेक्षा इसमें तेल की मात्रा भी अधिक होती है। खरीददार फारुख मोहम्मद ने बताया की गुजरात महाराष्ट्र से भी अधिक हैदराबाद में बदनोर के गुलाबी लाल लहसुन के नाम से जाना जाता हैं,इसकी अच्छी मांग है। इसकी कीमत ऊँटी लहसुन की कीमत से 20 रूपये अधिक रहती है ऊँटी लहसुल कि कीमत 120 रूपये बदनोर किस्म की कीमत 140 रूपये तक होती है। इसका संरक्षण काल 12 से 14 माह तक रहता है। लहसुन में उपस्थित जड़े (मुछे) में उपस्थित माइक्रो न्यूटेण्ट, बोरोन केल्शियम, मैगनीशियम, आयरन, पौटेशियम, विटामिन B6, B12, B8 इत्यादी शरीर को उपलब्ध करवाता है जो कि अन्य किस्मों के मुकाबले बदनोर गुलाबी लहसुन में अत्यधिक होती है।लहसुन की किस्मों में यमुना सफेद, ऊँटी विदिशा, हिमाचली, कश्मीरी, एलीफण्टा, रियावर, महाराष्ट्र, ईरानी व चाइना, देशी सफेद इत्यादी लहसुन के मुकाबलें बदनोर गुलाबी लहसुन में तीखापन अत्यधिक रहता है एवं मेडिकल्स प्रोपटीन भी अन्यों के मुकाबलें में बडे स्तर पर है।
बदनोर से दूर दूर तक जाता है बीज….
आजादी के पूर्व से ही बदनोर तहसील के ग्राम रतनपुरा में लहसुन की खेती परंपरागत तरीके से हो रही है। यहां से दूसरे गांवों के किसान बीज ले जाकर उसी तरीके से खेती कर अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। बीज विकास का मूल गांव रतनपुरा भादसी ही माना जाता है। अलग गुणवत्ता, गुलाबी पर्दा, कलियों का आकार और औषधीय गुणों के कारण इसकी अलग पहचान बनी है। भंडारण की क्षमता अधिक होने से इसे अधिक समय तक रखा जा सकता है।
बदनोर क्षेत्र में 1300 हेक्टेयर में खेती हो रही है। 700 से अधिक किसान उत्पादन ले रहे हैं। किसानों ने कृषि विभाग माध्यम से बीज, दवाई, मार्गदर्शन, विपणन आदि की गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं और अब बदनोर उपखण्ड क्षेत्र वासियो द्वारा दास्तांने भीलवाड़ा के माध्यम से जीआइ टैग प्राप्त करने कि मांग कर रहें हैं।