भीलवाड़ा । स्थाई लोक अदालत ने अपने एक प्रकरण संख्या 250/23 अनोखी बाई बनाम टाटा मोटर्स में सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया। जिसमें इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 10 लाख रुपए बीमित व्यक्ति के नॉमिनी को अदा करने का आदेश दिया।उक्त प्रकरण में परिवादी अनोखी बाई की ओर से मांडल निवासी अधिवक्ता इमरान काजी ने पैरवी करते हुए बताया की परिवादी के पुत्र दुर्गा शंकर आचार्य ने दिनांक 21.2.2022 को अपने एक ट्रक संख्या RJ06 GB 3079 पर टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड से 997719 रुपए का फाइनेंस करवाया जिसमें लोन सुरक्षा बीमा के नाम पर इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से 40522 रुपए की प्रीमियम राशि देकर लोन राशि का बीमा करवाया था। बीमा करवाने के 6 माह बाद परिवादी के पुत्र दुर्गा शंकर आचार्य की अकस्मात मृत्यु हो गई थी। मृत्यु के पश्चात जब परिवादी ने क्लेम के लिए संबंधित बीमा कंपनी से संपर्क कर क्लेम पास करने के लिए आवश्यक सभी दस्तावेज दिए।जिस पर बीमा कंपनी ने परिवादी को आश्वस्त किया कि महीने भर में आपका क्लेम पास हो जाएगा। जब दो माह बाद भी परिवादी का क्लेम पास नहीं हुआ तो परिवादी ने बीमा कंपनी से संपर्क किया तो उन्होंने जवाब दिया कि आपने हमारे से बीमा लेते समय हमें गलत जानकारी उपलब्ध कराई इस कारण आपका क्लेम खारिज कर दिया गया है। उक्त बीमा कंपनी के व्यवहार से व्यथित हो कर परिवादी अपने अधिवक्ता के मार्फत स्थाई लोक अदालत में एक वा प्रस्तुत किया जिस पर बीमा कंपनी ने कोर्ट को बताया कि परिवादी के पुत्र दुर्गा शंकर आचार्य ने बीमा प्रपोजल फॉर्म भरते समय 2019 में हुई गंभीर बीमारी को हम से छुपाया था जिसका हमें क्लेम अनुसंधान टीम द्वारा बताया गया था कि 2019 में दुर्गा शंकर आचार्य टीबी के इलाज के दौरान सोनी हॉस्पिटल में भर्ती हुआ था जिसका डिस्चार्ज सर्टिफिकेट संलग्न किया हुआ है। परिवादी के अधिवक्ता ने सोनी हॉस्पिटल के डिस्चार्ज सर्टिफिकेट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सर्टिफिकेट 2019 का है और बीमा 2022 में लिया गया है और उक्त डिस्चार्ज सर्टिफिकेट हस्तलिखित भी है जिसमें दुर्गा सुधार लिखा हुआ है और हमीरगढ़ का पता अंकित है जबकि बीमित व्यक्ति का नाम दुर्गा शंकर आचार्य है और भादसोड़ा चित्तौड़गढ़ निवासी है इसलिए हमारी आपत्ति को स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी से हमें बीमा राशि दिलाई जावे। दौराने बहस कोर्ट ने माना की बीमा कंपनी ने जिस आधार पर बीमा खारिज किया वह आधार विश्वनिय नहीं है। इसलिए परिवादी को दो माह की अवधि में 997719 एव 5000 वाद व्यय के कुल 1002719 रुपए की राशि अदा करने के आदेश कोर्ट ने दिए ।