शाहपुरा पेसवानी
शाहपुरा क्षेत्र में गर्मी ने अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है। दिन-प्रतिदिन बढ़ते तापमान के कारण वन्य जीवों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तेज धूप, झुलसती हवाओं और सूखते जल स्रोतों ने जंगलों में बसे जीव-जंतुओं का जीवन संकट में डाल दिया है। खासकर वन विभाग के बीड़ क्षेत्र में पानी की भीषण किल्लत के चलते हालात और अधिक गंभीर हो गए हैं। सीमित संसाधनों के कारण वन विभाग भी बेबस नजर आ रहा है। बीड़ क्षेत्र में जगह-जगह वन विभाग द्वारा बनाए गए पानी के स्रोत अब लगभग सूखे पड़े हैं, जिससे वन्य जीवों को पीने के लिए पानी तक मयस्सर नहीं हो रहा। बीड़ क्षेत्र की यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि वन्य जीव संरक्षण के लिए भी एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। जीवदया सेवा समिति शाहपुरा के संयोजक अत्तू खान कायमखानी ने बीड़ क्षेत्र का दौरा कर हालात का जायजा लिया। दौरे के बाद उन्होंने बताया कि ओदी और आसपास के इलाकों में वन विभाग ने कई स्थलों पर जल स्रोत बनाए हैं, परंतु गर्मी के इस भीषण दौर में उनमें पानी की उपलब्धता न के बराबर है। उन्होंने बताया कि गर्मी से पहले ही वन्य जीवों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, और अब पानी की कमी ने उनकी मुश्किलों को दोगुना कर दिया है।
पिछले दिनों बीड़ क्षेत्र में लगी आग ने भी वन्य जीवों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था। उस आग के कारण अनेक जीव-जंतु अपने प्राकृतिक ठिकानों से भागकर इधर-उधर भटकते नजर आए थे। अब जब गर्मी चरम पर है और जल स्रोत भी सूख चुके हैं, तो ये जीव-जंतु पलायन को मजबूर हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल वन्य जीवों के लिए घातक है, बल्कि पारिस्थितिक तंत्र के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है।
संयोजक अत्तू खान कायमखानी ने जिला प्रशासन से अपील करते हुए कहा है कि शाहपुरा तहसील क्षेत्र में मौजूद सभी बीड़ क्षेत्रों में वन्य जीवों के लिए पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था तत्काल प्रभाव से की जाए। उन्होंने विशेष रूप से भीलवाड़ा के जिला कलेक्टर और जिला वन संरक्षक से आग्रह किया कि मौजूदा संकट को ध्यान में रखते हुए बीड़ क्षेत्रों में पानी पहुंचाने के लिए टैंकर या वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि स्थानीय सामाजिक संगठनों, गौशालाओं और ग्रामीणों के सहयोग से एक सामूहिक अभियान चलाकर बीड़ क्षेत्र में जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों की सुरक्षा और संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज के हर जागरूक नागरिक की भी नैतिक जिम्मेदारी है।
इस विषय में जब बीड़ क्षेत्र के वनपाल विश्राम मीणा से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि वन विभाग अपने सीमित संसाधनों के माध्यम से वन्य जीवों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, संसाधनों की कमी के कारण सभी जल स्रोतों में नियमित रूप से पानी भर पाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया कि मौजूदा हालात गंभीर हैं और यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
विश्राम मीणा ने बताया कि विभाग द्वारा कुछ स्थानों पर पानी के टैंकरों के माध्यम से आपूर्ति शुरू की गई है, लेकिन यह अस्थाई समाधान है। स्थाई समाधान के लिए जल स्रोतों का गहरीकरण, वर्षा जल संग्रहण और पाइपलाइन से जल आपूर्ति जैसे विकल्पों पर काम किया जाना आवश्यक है।
वन्य जीव विशेषज्ञों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यदि जल संकट की यह स्थिति बनी रही, तो आने वाले दिनों में वन्य जीवों की मृत्यु दर बढ़ सकती है या वे मानवीय बस्तियों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे मानव-वन्य जीव संघर्ष की आशंका भी बढ़ सकती है। ऐसे में वन विभाग, प्रशासन और समाज को मिलकर सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
शाहपुरा क्षेत्र की बीड़, न केवल वन्य जीवन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील है। यहां के जैव विविधता भरे परिवेश को बचाए रखने के लिए समय रहते उचित कदम उठाना जरूरी है। संयोजक अत्तू खान ने बताया कि उनकी संस्था शीघ्र ही जनजागरण अभियान भी शुरू करेगी, ताकि आम लोग भी इस संकट के समाधान में भागीदार बन सकें। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है दृ यह केवल मानव के लिए नहीं, बल्कि हर जीव के लिए उतना ही जरूरी है।