जिलाध्यक्ष अर्जुन देवलिया के नेतृत्व में शिक्षामंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन, 16 फरवरी के बाद बनेगी उग्र आंदोलन के लिए रणनीति
(पंकज पोरवाल)
भीलवाड़ा।स्मार्ट हलचल/भीलवाड़ा जिला निजी शिक्षण संस्थानों के बेनर तले शहर के निजी स्कूल संचालकों को पिछले दो वर्ष से आरटीई का भुगतान नहीं मिलने व विभागीय कर्मचारियों द्वारा किसी भी प्रकार का कार्य हो बिना भ्रष्टाचार के पूर्ण नहीं होने से विभाग में इसे शिष्टाचार का नाम दे दिया है। वर्षों से एक ही जगह पर पोस्टिंग होने से आने वाले अधिकारी भी इनके रंग में रंग जाते है। भौतिक सत्यापन रिपोर्ट व बिलों को रजिस्टर्ड ए.डी. से विभाग को भेजे जाने को लगभग दो वर्ष का समय हो गया है, विभाग द्वारा अभी तक सैकड़ों स्कूलों की पोर्टल पर पुष्टी तक नहीं की। जिलाध्यक्ष अर्जुन देवलिया ने बताया कि स्कूल संचालक अपनी मेहनत व हक का पुर्नःभरण की मांग कर रहे है। परन्तु यहा कार्यरत कर्मचारी कार्य के प्रति लापरवाही बरत रहे है। ऐसे में विभाग की छवि धूमिल हो रही है। 2 फरवरी को शिक्षा विभाग के आला अधिकारी को भीलवाड़ा के एक भ्रष्ट कर्मचारी को हटाने के लिए लिखित में जन प्रतिनिधि द्वारा शिकायत करने पर भी विभाग के सबसे आला अधिकारी द्वारा शिकायत पत्र को कचरे के पात्र में डाल दिया गया, जिससे भ्रष्ट कर्मचारियों के हौसले बुलन्द है। आज दिनांक तक कार्यवाही नहीं होने से गुस्साये स्कूल संचालकों को जिला प्रशासन की शरण लेनी पड़ी। क्या इससे यह प्रतीत नहीं होता कि शिक्षा विभाग में सुनने वाला कोई अधिकारी रहा ही नहीं ? इसलिए संचालक अपनी परिवेदना को जिला प्रशासन तक पहुंचाते हुए यह निर्णय लिया गया कि 15 फरवरी तक अगर विभाग में वातावरण को सकारात्मक नहीं किया गया, इसी प्रकार की गतिविधियां चलती रही तो 16 फरवरी के बाद उग्र आंदोलन के लिए रणनीति बनाई जायेगी। ज्ञापन देने वालों में जिलाध्यक्ष अर्जुन देवलिया, शहर अध्यक्ष महेन्द्र शर्मा, निर्मल जैन, रामगोपाल शर्मा, महेन्द्र सिंह, दिनेश शर्मा, सत्यप्रकाश दायमा, विक्रम सिंह गोगावत, सतीश सोनी, विजेश पहाड़िया, उमेश शर्मा, सुरेश सिखवाल, सुरेश कुमार शर्मा, निधि शर्मा, सुशीला शर्मा, मधु मारू, अर्पणा सोनी, तेज सिंह चौहान, धर्मीचन्द, नारू लाल शर्मा, शंभू सिंह सोलंकी, भगवत सिंह, दिनेश कुमार छीपा, रामपाल शर्मा, इन्द्रा छीपा सहित कई संचालक उपस्थित थे।