भीलवाड़ा- मूलचन्द पेसवानी
भीलवाड़ा में श्री पंचमुखी दरबार सेवा समिति की ओर से दीपोत्सव पर्व का शुभारंभ गौ माता के पूजन एवं लापसी खिलाकर किया गया। इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन ने क्षेत्र में श्रद्धा, भक्ति और परंपरा का सुंदर संगम प्रस्तुत किया। आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं ने दीप जलाकर देश और समाज में सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना की।
समिति के अध्यक्ष महंत लक्ष्मण दास त्यागी ने बताया कि दीपोत्सव पर्व का शुभारंभ धनतेरस के पावन अवसर पर किया गया, जिसमें गौ माता का विधिवत पूजन कर उन्हें लापसी का भोग लगाया गया। उन्होंने कहा कि गौ माता भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं, जिनकी सेवा और पूजन से जीवन में पवित्रता, समृद्धि और शांति का संचार होता है। महंत त्यागी ने कहा कि दीपोत्सव न केवल दीप जलाने का पर्व है, बल्कि यह आत्मिक प्रकाश और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है।
समिति के महामंत्री परमेश्वर दास ने बताया कि इस वर्ष समिति दीपोत्सव पर्व को सेवा और समर्पण के रूप में मनाएगी। उन्होंने कहा कि समाज में जब तक संस्कार, सेवा भावना और आस्था जीवित हैं, तब तक संस्कृति सुरक्षित रहती है। ऐसे आयोजनों से समाज में भाईचारा, एकता और सद्भावना बढ़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि दीपोत्सव पर्व के दौरान समिति द्वारा गौ सेवा, गरीबों को भोजन वितरण, मंदिरों में दीप सज्जा और भक्ति संगीत संध्या जैसे अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इससे समाज में धर्म, आस्था और सेवा के प्रति नई चेतना जागृत होगी।
समिति के कोषाध्यक्ष सच्चिदानंद दास ने बताया कि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इस अवसर पर अजय रामदास, बृजमोहन दास, प्रेमदास, रघुनंदन दास, रामशरण दास, गोपाल दास सहित अनेक भक्तों ने भाग लिया और सामूहिक रूप से गौ माता का पूजन किया। उपस्थित भक्तों ने लापसी का प्रसाद ग्रहण किया और दीप प्रज्वलित कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
पूरे कार्यक्रम स्थल को दीपों, पुष्पों और रंगोलियों से सजाया गया था। वातावरण में भक्ति संगीत और वैदिक मंत्रोच्चार की गूंज से आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का अद्भुत अनुभव हुआ। श्रद्धालुओं ने दीप जलाकर अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश दिया और देश में अमन-चैन व सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।
महंत लक्ष्मण दास त्यागी ने कहा कि दीपोत्सव हमें यह सिखाता है कि जीवन में प्रकाश फैलाने के लिए पहले अपने भीतर का अंधकार मिटाना आवश्यक है। गौ माता का पूजन कर हम अपने जीवन में करुणा, सेवा और संतुलन का भाव विकसित करते हैं।
समारोह के अंत में सामूहिक आरती की गई और सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। भक्ति और संस्कृति के इस संगम ने दीपोत्सव पर्व की शुरुआत को और अधिक पावन, प्रेरणादायक और सामाजिक एकता का प्रतीक बना दिया।