भीलवाड़ा । श्रावण मास की पंचमी तिथि पर मंगलवार सुबह सिंधी समाज की महिलाओं ने पारंपरिक गोगड़ो पर्व (नाग पंचमी) को श्रद्धा, उत्साह और लोक परंपराओं के अनुसार सामूहिक रूप से मनाया। शहर के वीर सावरकर चैराहा, नाथद्वारा सराय, सिंधु नगर, शास्त्री नगर सहित विभिन्न कॉलोनियों में महिला मंडलों ने समूहबद्ध होकर इस पर्व को जीवंत किया।
पुत्र और भाइयों की लंबी उम्र के लिए होती है पूजा
सिंधी समाज के मीडिया प्रभारी मूलचंद बहरवानी ने बताया कि यह पर्व सिंधी संस्कृति में पुत्रों और भाइयों की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना हेतु मनाया जाता है। इसके अंतर्गत महिलाएं चैथ तिथि को मीठी कोकीयां (मीठी रोटियां) बनाती हैं और पंचमी के दिन प्रातः स्नान-ध्यान कर हरे-भरे वृक्षों के नीचे गोबर से कृत्रिम प्रतिमा (गोगड़ो) बनाती हैं। प्रतिमा को नए वस्त्र पहनाकर, सिंदूर लगाकर, दूध व जल के छींटे देते हुए, माला पहनाकर पूजन किया जाता है। इसके बाद रात में बनाए गए मीठे व्यंजनों का भोग अर्पित कर दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान शिव से भाईयों व पुत्रों की लंबी उम्र की प्रार्थना की जाती है।
महिलाओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी
पूजन स्थल पर वर्षा सखरानी, हर्षिता विधानी, ज्योति सखरानी, निर्मला भोजवानी, रूक्मणि सखरानी, अनामिका बहरवानी, चांदनी सखरानी, सुनीता नेभवानी, चांदनी भोजवानी, माया लालवानी, रोमा लखवानी, हेमा मामनानी, हरि भोजवानी, भगवंती भगत, अनिता नेभवानी सहित सिंधी समाज की सैकड़ों महिलाएं पारंपरिक परिधान और श्रद्धा के साथ उपस्थित रहीं।
लोक आस्था और संस्कृति का प्रतीक
गोगड़ों का यह पर्व सिंधी समाज की लोक संस्कृति में आस्था, प्रकृति पूजन और पारिवारिक समर्पण का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व पारंपरिक मान्यताओं और पीढ़ियों से चली आ रही सांस्कृतिक परंपराओं को जीवंत रखने का सशक्त माध्यम भी है।
इस अवसर पर महिलाओं ने एक-दूसरे को पर्व की बधाई दी और सामूहिक गीतों व पारंपरिक भजनों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। श्रद्धा, सेवा और समर्पण से ओत-प्रोत यह आयोजन भीलवाड़ा शहर में सांस्कृतिक एकता और धार्मिक सौहार्द का संदेश लेकर आया।