भीलवाड़ा । खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा प्रारंभ किया गया गिव अप अभियान लगातार नई मिसालें कायम कर रहा है। इस अभियान में भीलवाड़ा जिले ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अब तक सबसे आगे रहने का गौरव प्राप्त किया है। जिले में आज तक कुल 1,85,015 लोगों ने स्वेच्छा से एनएफएसए लाभ त्याग (गिव अप) किया है, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
जिला रसद अधिकारी अमरेंद्र मिश्रा ने बताया कि विभाग द्वारा कराए गए ई-केवाईसी सत्यापन के दौरान अतिरिक्त 76,711 लोग भी एनएफएसए सूची से बाहर हुए, जिससे अपात्र लाभार्थियों की कुल संख्या 2,61,726 हो गई है। इन अपात्र लोगों के हटने से जिले में 2,42,096 वास्तविक पात्र किन्तु वंचित परिवारों को एनएफएसए योजना में जोड़ा गया है। यह सफलता जिले में सामाजिक जागरूकता, पारदर्शिता एवं विभागीय दक्षता का प्रतीक है।
गिव अप अभियान के तहत चार-पहिया वाहन मालिकों, सरकारी सेवकों, आयकर दाताओं एवं एक लाख से अधिक वार्षिक आय वाले नागरिकों ने स्वेच्छा से योजना का लाभ छोड़कर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई है। ऐसे लोगों की भावना ने अभियान को मजबूती प्रदान की और समाज में सकारात्मक संदेश दिया कि योजनाओं का लाभ केवल जरूरतमंदों तक पहुँचना चाहिए।
इस अभियान से न केवल लाखों पात्र लोगों को खाद्य सुरक्षा का लाभ मिलेगा बल्कि अपात्र लाभार्थियों पर खर्च होने वाली खाद्य, गैस, बीमा एवं चिकित्सा सब्सिडी की बड़ी राशि की बचत भी होगी। साथ ही, इससे सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ा है। जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, सोशल एवं प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित समाज के हर वर्ग ने अभियान को सफल बनाने में योगदान दिया। खाद्य विभाग के कार्मिकों एवं उचित मूल्य दुकानदारों की भूमिका भी सराहनीय रही।
मिश्रा ने बताया कि अभियान 31 अक्टूबर 2025 तक संचालित किया जाएगा। इसके बाद जो अपात्र लाभार्थी स्वेच्छा से गिव अप नहीं करेंगे, उनसे 1 नवंबर से प्रति किलोग्राम ₹30.57 की दर से गेहूं की वसूली की जाएगी। विभाग द्वारा नागरिकों से अपील की गई है कि वे अंतिम तिथि से पहले स्वेच्छा से लाभ त्याग कर सामाजिक उत्तरदायित्व निभाएं। भीलवाड़ा जिले की इस उपलब्धि ने पूरे प्रदेश में एक आदर्श स्थापित किया है और यह सुनिश्चित किया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुँचे। उम्मीद है कि इस सकारात्मक पहल से आने वाले समय में अन्य क्षेत्रों में भी इसी प्रकार सामाजिक सहभागिता देखने को मिलेगी।


