भीलवाड़ा। दीपावली के दूसरे दिन बुधवार को भीलवाड़ा शहर सहित जिलेभर में महिलाओं ने परंपरागत उत्साह के साथ गोवर्धन पूजा की । सुबह से ही महिलाओं ने घर-घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का निर्माण कर पूजन-अर्चन किया और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिरों में भजन-कीर्तन और आरती के स्वर गूंजते रहे, जिससे शहर का वातावरण भक्तिमय हो गया । घरों और मंदिरों में अन्नुकूट का प्रसाद बनाकर 56 भोग लगाया । अलग-अलग राज्यों में अपनी परंपरा के अनुसार गोवर्धन का त्योहार मनाया जाता है । भीलवाड़ा में हर घर में गोवर्धन पूजा पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाई गई। गृहणियों ने श्रद्धा और भक्तिभाव से पहले भगवान विष्णु का गोवर्धन अवतार बनाया और उन्हें पूरा करते हुए गोबर से छोटी-छोटी गाय भी बनाई। परंपरा के अनुसार, इन आकृतियों को फूलों और प्राकृतिक सामग्री से सजाया गया और विधि-विधान से पूजन किया गया, जिसके बाद अन्नकूट बनाकर पहले गोवर्धन महाराज को अर्पित किया गया और फिर गौवंश को भी अन्नकूट खिलाया गया।
गोवर्धन पूजा का महत्व:
धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव के अहंकार को दूर करने के लिए ब्रजवासियों को इंद्र पूजा छोड़ गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का संदेश दिया था। जब इंद्र ने क्रोधित होकर भारी वर्षा कर दी, तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर पूरे गांव को वर्षा से बचाया। तभी से इस दिन गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है।
भीलवाड़ा में भी इसी आस्था और परंपरा के साथ महिलाओं ने पूजा कर श्रीकृष्ण से परिवार की रक्षा और समृद्धि का आशीर्वाद मांगा ।


