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भीलवाड़ा में समोडी तालाब के बीच जिन्दल ने बनाई डेढ़ किलोमीटर लंबी अवैध सड़क, संघर्ष समिति ने उठाई कार्यवाही की मांग

भीलवाड़ा, मूलचंद पेसवानी । भीलवाड़ा जिले के समोडी गांव में स्थित समोडी तालाब के बीच जिन्दल शॉ लिमिटेड द्वारा अवैध रूप से डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क बनाए जाने का मामला सामने आया है। इस पर ओवरब्रिज बनाओ संघर्ष समिति ने कड़ा विरोध दर्ज करते हुए जिला कलक्टर जसमीत सिंह संधु को ज्ञापन सौंप कर तत्काल कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है। समिति के सदस्यों का आरोप है कि यह सड़क सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के स्पष्ट आदेशों की सीधी अवहेलना है, जिसके तहत किसी भी जल स्रोत या उसके कैचमेंट एरिया में इस प्रकार का निर्माण कार्य निषिद्ध है।
समिति के वरिष्ठ सदस्य लक्ष्मीनारायण डाड, दुर्गेश शर्मा, उम्मेदसिंह राठौड़, बाबूलाल जाजू, महेश सोनी, सत्यनारायण विश्नोई, ओम कसारा, अशोक मूंदड़ा, सीताराम खटीक और नेमचंद सिंघवी ने बताया कि जिन्दल शॉ लिमिटेड द्वारा यह सड़क माइनिंग क्षेत्र में आवागमन के उद्देश्य से बनाई गई है। इससे तालाब का क्षेत्रफल कम हो गया है और जल संरक्षण क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ा है, जो पर्यावरणीय दृष्टि से गंभीर मामला है। समिति ने आरोप लगाया कि यह कार्य जिला प्रशासन, खान विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों की मौन स्वीकृति या लापरवाही से संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ पर्यावरणीय अपराध है बल्कि यह सार्वजनिक संसाधन एक महत्वपूर्ण जल स्रोत के साथ छेड़छाड़ है। समिति ने ज्ञापन में यह मांग की गई है कि इस अवैध सड़क को तत्काल हटाया जाए। तालाब को उसके मूल स्वरूप में बहाल किया जाए। जिन्दल शॉ लिमिटेड और इसमें संलिप्त अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाए। भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी तंत्र विकसित किया जाए। भीलवाड़ा जिले में इससे पहले भी औद्योगिक गतिविधियों के चलते जल स्रोतों के क्षरण और अतिक्रमण के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला सीधे तालाब के बीच सड़क निर्माण से जुड़ा होने के कारण यह ज्यादा संवेदनशील बन गया है।
जहां एक ओर पर्यावरण संरक्षण और जल संकट की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की चुप्पी ने स्थानीय नागरिकों में गहरा आक्रोश पैदा किया है। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्यवाही नहीं हुई, तो जन आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।
समोडी तालाब के अस्तित्व को खतरा और पर्यावरणीय नियमों की खुलेआम अवहेलना के इस मामले ने जिला प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। अब देखना होगा कि जिला कलक्टर जसमीत सिंह संधु इस गंभीर मुद्दे पर क्या ठोस कार्यवाही करते हैं या यह मामला भी फाइलों की धूल बनकर रह जाएगा।

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