मुकेश खटीक
मंगरोप।भोली गांव से होकर गुजर रही पीडब्ल्यूडी विभाग की मुख्य सड़क अब मौत का फंदा बन चुकी है। 67 गांवों की हजारों की आबादी के लिए यह सड़क जीवनरेखा मानी जाती है, साथ ही मध्यप्रदेश और चित्तौड़गढ़ को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग भी है।लेकिन लापरवाह प्रशासन और जिम्मेदार विभाग की अनदेखी ने इसे खतरनाक जाल बना दिया है।हालात यह हैं कि लोग रोजमर्रा की यात्रा के दौरान अपनी जान हथेली पर रखकर सफर करने को मजबूर हैं।सड़क की सतह पूरी तरह उखड़ चुकी है।डामर गायब हो चुका है और जगह-जगह कंकड़ ही नजर आते हैं।कई हिस्सों में डेढ़ फीट तक गहरे गड्ढे हो चुके हैं।बरसात का पानी इन गड्ढों में भरने से यह और भी खतरनाक हो जाते हैं।राहगीरों को गड्ढे नजर नहीं आते और अचानक गिरने से उनकी जान तक जोखिम में पड़ रही है।भोली गांव के पास होटल संचालक पुरणमल गाडरी बताते हैं मेरी दुकान के सामने बने गड्ढों में आए दिन लोग गिरते हैं। बरसात में तो पानी भरने से कोई अंदाज़ा ही नहीं रहता कि सड़क पर गड्ढा कहां है।कई बार मुझे अपनी दुकान छोड़कर लोगों को उठाने जाना पड़ता है।हाल ही में बस्सी गांव का एक बुजुर्ग दंपत्ति बाइक से गिरा था।दोनों गंभीर रूप से घायल हुए और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा।ग्रामीण बताते हैं कि बीते कुछ महीनों से इस मार्ग पर छोटे-बड़े हादसे आम हो चुके हैं। बाइक सवार, ऑटो और कार चालक लगातार सड़क की खराब हालत का शिकार बन रहे हैं।कई लोग तो मामूली चोटों के बाद घर पर ही इलाज करा लेते हैं,लेकिन गंभीर मामलों में अस्पताल ले जाना पड़ता है।हादसों का यह सिलसिला अब लोगों को डराने लगा है।ग्रामीणों का कहना है कि इस गंभीर समस्या को लेकर कई बार पीडब्ल्यूडी अधिकारियों और प्रशासनिक जिम्मेदारों को अवगत कराया गया।बार-बार लिखित व मौखिक शिकायतें दी गईं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।सड़क की मरम्मत तो दूर,हाल तक निरीक्षण करने तक कोई नहीं आया।ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही सड़क की मरम्मत नहीं की गई तो वे मजबूरन बड़ा आंदोलन करेंगे।गांव-गांव से लोग एकत्र होकर धरना-प्रदर्शन करेंगे।ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और पीडब्ल्यूडी विभाग से मांग की है कि सड़क को प्राथमिकता से लेकर तुरंत मरम्मत शुरू की जाए।


