राजेश कोठारी
करेड़ा :— मजदूर किसान शक्ति संगठन तथा राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा विकसित भारत–गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल, 2025 को तुरंत वापस लेने की माँग करते हुए संगठनों द्वारा रैली निकालकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम पर करेड़ा उपखंड अधिकारी रेखा गुर्जर को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में बताया गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 कोई योजना नहीं, बल्कि संसद द्वारा पारित एक अधिकार कानून है, जिसने देश के करोड़ों ग्रामीण परिवारों—विशेषकर महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और भूमिहीन मज़दूरों—को न्यूनतम रोज़गार की कानूनी गारंटी दी है। इसके विपरीत VB–GRAMG बिल इस अधिकार को समाप्त कर मनरेगा को एक केंद्र-नियंत्रित योजना में बदल देता है।
संगठनों के अनुसार यह बिल “पहले बजट, फिर काम” की सोच थोपता है, जो मनरेगा की मांग-आधारित भावना पर सीधा हमला है। 125 दिनों के रोज़गार का दावा भ्रामक है, अब तक देश में केवल लगभग 7 प्रतिशत परिवारों को ही 100 दिन का कानूनी काम मिल पाया है और औसतन मज़दूरों को हर वर्ष 50 दिन से भी कम काम मिलता रहा है। इस नए बिल के लागू होने से ग्राम सभाओं और पंचायतों की भूमिका कमजोर होगी।
रैली के बाद आयोजित सभा को संबोधित करते हुए संगठन के लाल सिंह ने कहा मनरेगा कोई योजना नहीं, बल्कि काम का कानूनी अधिकार है। VB–GRAMG बिल इस अधिकार को खत्म करने का रास्ता खोलता है। अगर काम और बजट दिल्ली से तय होंगे, तो ग्राम स्वराज केवल नारा बनकर रह जाएगा। प्रेमलता ने कहा 60:40 लागत-साझेदारी गरीब राज्यों के लिए मौत का फंदा है। केंद्र सरकार मज़दूरी की जिम्मेदारी राज्यों पर डाल रही है, जिसका सबसे ज़्यादा असर महिला मज़दूरों और असंगठित श्रमिकों पर पड़ेगा।
इस दौरान संगठन की लक्ष्मी देवी, सोसी देवी, लीला ,पूजा ,प्रियंका , नेहा सहित संगठन और यूनियन ने माँग करते हुए VB–GRAMG बिल, 2025 को तत्काल वापस लेते हुए मनरेगा को उसके मूल अधिकार-आधारित स्वरूप में बनाए रखते हुए मनरेगा मज़दूरी दर में तत्काल वृद्धि की जाए ।


