शाश्वत तिवारी
नई दिल्ली।स्मार्ट हलचल|राष्ट्रीय राजधानी के भारत मंडपम में पहला बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव आयोजित किया गया। विदेश मंत्रालय और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के सहयोग से आयोजित ‘सप्तसुर: सात राष्ट्र, एक राग’ नामक इस महोत्सव में 7 बिम्सटेक देशों की विशिष्ट संगीत परंपराओं का उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि संगीत राष्ट्रों के बीच सेतु का काम करता है और यह देशों के लिए अपनी विरासत और पहचान को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम भी है।
बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) के इस ट्रेडिशनल म्यूजिक फेस्ट में समूह के सभी सात देशों – बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान के कलाकार एवं कलाप्रेमी शामिल हुए। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति और क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।
इस दौरान जयशंकर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि संगीत को समाज की आत्मा माना जाता है और सांस्कृतिक कौशल के माध्यम से ही समाज का सम्मान एवं गरिमा सुनिश्चित की जा सकती है। विदेश मंत्री ने अपने भाषण में यह स्वीकार किया कि ‘हम जटिल और अनिश्चित समय में जी रहे हैं’ और इसी पंक्ति में उन्होंने यह जोड़ा कि दुनिया एक ऐसी वैश्विक व्यवस्था की तलाश में है, जो ‘कुछ शक्तियों के प्रभुत्व’ से मुक्त हो। यह वक्तव्य अप्रत्यक्ष रूप से पश्चिमी वर्चस्व और उसके गठजोड़ों की वैश्विक संस्थाओं में मनमानी भूमिका पर प्रश्नचिन्ह है। इस संदर्भ में बिम्सटेक जैसे मंच भारत को एक गैर-पश्चिमी क्षेत्रीय नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करते हैं, जहां समान विचारधारा वाले देश संस्कृति, परंपरा और क्षेत्रीय समरसता के ज़रिये वैश्विक राजनीति में पुनर्संतुलन का प्रयास कर सकते हैं।
इस सांस्कृतिक पहल की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अप्रैल 2025 में थाईलैंड में आयोजित बिम्सेटक शिखर सम्मेलन में रखी गई थी, जहां उन्होंने भारत की ओर से क्षेत्रीय सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए इस तरह के संगीत महोत्सव आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई थी।