(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
वाराणसी। स्मार्ट हलचल|कहते हैं बदलाव ही विकास की असली पहचान है, और भारतीय रेलवे ने आज इसका एक बड़ा उदाहरण पेश किया है। शनिवार, 30 अगस्त 2025 को ठीक दोपहर 1:40 बजे वाराणसी टीटीई लॉबी में इतिहास रच दिया गया। यहां टिकट परीक्षकों (टीटीई) के लिए बायोमेट्रिक साइन-ऑन और साइन-ऑफ प्रणाली का सफलतापूर्वक शुभारंभ किया गया।
यह कदम वाराणसी मंडल को पूर्वोत्तर रेलवे का पहला ऐसा मंडल बना देता है, जिसने तकनीक के सहारे अपने कर्मचारियों के कामकाज को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाई है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, वाराणसी की टीटीई लॉबी को इस परियोजना के लिए पायलट आधार पर चुना गया था, और इसकी सफलता ने भविष्य की राह को आसान कर दिया है।
बायोमेट्रिक सिस्टम लागू होने के बाद अब टीटीई की ड्यूटी के घंटे, उनकी उपस्थिति, विश्राम का समय और कार्य अवधि सब कुछ सटीक रूप से दर्ज होगा। इससे न केवल प्रबंधन को कर्मचारियों की वास्तविक स्थिति समझने में सहूलियत होगी, बल्कि टिकट जाँच कर्मचारियों की जिम्मेदारी और अनुशासन भी और मजबूत होंगे।
पहले जहां टीटीई की उपस्थिति और कार्य अवधि कागजों या मैन्युअल तरीकों पर निर्भर रहती थी, वहीं अब तकनीक इस पूरे तंत्र को डिजिटल और भरोसेमंद बनाएगी। इससे कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी और उपस्थिति से जुड़ी अनियमितताओं पर पूरी तरह से अंकुश लगेगा।
यात्रियों के नजरिए से भी यह पहल महत्वपूर्ण है। जब कर्मचारी समय पर अपनी ड्यूटी पूरी पारदर्शिता के साथ निभाएंगे, तो इसका सीधा असर सेवा की गुणवत्ता पर पड़ेगा। यह न सिर्फ कर्मचारियों को अनुशासित करेगा, बल्कि यात्रियों के विश्वास को भी मजबूत बनाएगा।
रेलवे प्रशासन का मानना है कि इस प्रणाली के लागू होने से काम का बोझ संतुलित होगा। टीटीई कर्मचारियों के लिए ड्यूटी और विश्राम का संतुलन भी सुनिश्चित किया जा सकेगा। इससे न केवल कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ेगी बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक आराम भी मिल पाएगा।
भारतीय रेलवे लंबे समय से अपने कर्मचारियों की उपस्थिति और समय प्रबंधन को आधुनिक बनाने की दिशा में प्रयासरत रहा है। वाराणसी मंडल में इस प्रणाली की शुरुआत यह साबित करती है कि रेलवे डिजिटल इंडिया की अवधारणा को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है।
जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने जानकारी दी कि यह पहल टिकट जाँच कर्मचारियों के लिए अनुशासन और पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से रेलवे के कामकाज में और ज्यादा विश्वसनीयता आएगी और यह पूरे सिस्टम को और मजबूत बनाएगी।
आज का दिन न केवल वाराणसी मंडल बल्कि पूरे पूर्वोत्तर रेलवे के लिए गौरव का क्षण है। यहां से शुरू हुई यह पहल भविष्य में अन्य मंडलों के लिए भी आदर्श साबित होगी। जब तकनीक और कार्यप्रणाली का ऐसा संगम होगा, तो रेलवे न सिर्फ तेज़ी से आगे बढ़ेगा बल्कि यात्रियों का भरोसा भी लगातार जीतता रहेगा।