(रमेश चंद्र डाड)
आकोला/स्मार्ट हलचल/वर्ष 2014 के बाद मेनाली नदी पर निर्मित पुल वर्षा ऋतु में कई बार टूट चुका लेकिन सरकार है कि मेनाली नदी में उच्च स्तरीय पुल बनाने के प्रति उदासीन है। सरकार की उदासीनता का खामियाजा क्षेत्र की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। क्षतिग्रस्त पुल पर ही वाहनों की आवाजाही होने से आए दिन छोटे मोटे हादसे होते रहते है।
बरुन्दनी, सिंगोली चारभुजा,धाकड़ खेड़ी,जोजवा,त्रिवेणी चौराहे वाले सड़क मार्ग पर मेनाली नदी पर भांड का खेड़ा के समीप कम ऊंचाई का पुल बना हुआ है। मेनाली नदी में वर्षा ऋतु में आने वाले पानी के तेज बहाव से पुल टूटता रहता है।
वर्ष 2014 में पहली बार मेनाली नदी का पुल मेनाली नदी में आए ऊफान से टूट गया था। पुल की आर सी सी की छत के ब्लॉक नदी में टूट कर दूर जा गिरे। आर सी सी के ब्लॉक नदी में ज्यों के त्यों पड़े हुए है।
मेनाली नदी के टूटे हुए पुल की मरम्मत के नाम पर मात्र खानापूर्ति ही होती रही है। टूटे पुल पर सार्वजनिक निर्माण विभाग मलबा डाल कर इतिश्री कर लेता है। एक बार आवागमन शुरू होने के बाद निर्माण विभाग कुंभकर्णी नींद में सो जाता है। पुल कई बार टूटा लेकिन निर्माण विभाग ने स्थाई समाधान नहीं किया।
मेनाली नदी के क्षतिग्रस्त पुल के ऊबड़ खाबड़ मार्ग पर आए दिन हादसे होते रहते है। चार दिन पूर्व पुल की चढ़ाई पर एक ट्रेलर नहीं चढ़ पाया और वह चढ़ाई से पीछे आ गया । पीछे आ रहे एक अन्य वाहन से टकरा गया। दुपहिया वाहन चालक भी हादसे के शिकार होते रहते है।
पुल के बार बार टूटने का सिलसिला वर्ष 2014 से चलता आ रहा है। दस वर्षों की अवधि में लोकसभा और विधानसभा के दो दो चुनाव हो गए । राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि आश्वासन ही देते रहे लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। छह माह पूर्व धाकड़खेड़ी से त्रिवेणी चौराहा तक सड़क मार्ग का नवीनीकरण हुआ लेकिन नदी पर पुल नहीं बनाया गया।
मेनाली नदी के टूटते पुल से होने वाली समस्या के स्थाई समाधान के लिए नदी पर उच्च स्तरीय पुल बनना चाहिए। बागीद के सामाजिक कार्यकर्ता भीम सिंह कानावत ने बताया कि क्षेत्र की जनता की समस्या का समाधान उच्च स्तरीय पुल बनाने से ही होगा।