भीलवाड़ा । भीलवाड़ा बीएसएनएल एसडीओ धीरज जयसवाल के ऑफिस में बार्न आउल आने पर दो आउल का रेस्क्यू किया । बीएसएनएल ऑफिस से रेंजर को सूचना मिली कि दो बार्न आउल ऑफिस में आ गए रेंजर ऑफिस से तुरंत प्रभाव से वाइल्ड एंड स्ट्रीट एनिमल रेस्क्यू सोसाइटी, वाइल्डलाइफ रेस्क्यू टिम के नारायण लाल बैरवा और फॉरेस्ट डिपार्मेंट के वनरक्षक रूपेंद्र सिंह पुरावत मौके पर पहुंच कर दोनों आउल को सुरक्षित रेस्क्यू किया,,बैरवा ने बताया कि यह चित्र में बार्न आउल (टायटो अल्बा) को दिखाया गया है, जो उल्लू की एक व्यापक रूप से वितरित प्रजाति है। दुनिया में उल्लू की 223 प्रजातियां से ज्यादा पाई जाती हैं। लेकिन अक्सर 19 प्रजातियां ही कॉमन हमे देखने को मिलती हैं। यह अक्सर आबादी क्षेत्र खुले मैदानों ग्रामीण क्षेत्र एरिया में रहना पसंद करते है। खलिहान उल्लुओं की पहचान उनके हृदय के आकार के चेहरे की डिस्क और गहरे रंग की आंखों से होती है। उनकी पीठ और पंखों पर आम तौर पर नारंगी-भूरे और स्लेटी रंग का मिश्रण होता है, जिसमें बिखरे हुए सफेद और गहरे रंग के निशान होते हैं, जबकि उनका निचला हिस्सा हल्का होता है। वे अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर पाए जाते हैं और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में मौजूद हैं। अन्य उल्लुओं के विपरीत, वे हिट नहीं करते बल्कि एक भयानक, लम्बी चीख निकालते हैं। उनके लंबे, मज़बूत पैर और शक्तिशाली पंजे होते हैं। मादाएं नरों से थोड़ी भारी होती हैं, लगभग 360 ग्राम (नरों का वज़न आमतौर पर लगभग 330 ग्राम होता है), हालाँकि प्रजनन के शुरुआती मौसम में अंडे देने से पहले मादाओं का वज़न 425 ग्राम तक हो सकता। टायोटा अल्बा फैमिली के उल्लू ब्लैक आंखों वाले होते हैं,, ओर यह रात को शिकार करते हैं,, यानी रात्रिचर होते हैं।। उल्लू को फॉरेस्ट डिपार्मेंट की मौजूदगी में सुरक्षित फॉरेस्ट एरिया में छोड़ दिया।। रिलीज करते टाइम साथ में वनरक्षक दिनेश रैगर और वाइल्ड लाइफ स्नेक रेस्क्यूर नारायण लाल बैरवा साथ थे।


