जयपुर । राजस्थान हाईकोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि छात्रों को छात्रसंघ चुनाव लड़ने का अधिकार तो है, लेकिन यह पढ़ाई के अधिकार से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकता. जस्टिस समीर जैन की बेंच ने कई याचिकाओं को खत्म करते हुए राज्य सरकार को कहा कि छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए जल्द से जल्द एक साफ नीति बनाओ. ये याचिकाएं जय राव और कुछ अन्य लोगों ने दाखिल की थीं. कोर्ट ने 14 नवंबर को सुनवाई खत्म करके फैसला अपने पास रख लिया था. याचिका लगाने वालों का कहना था कि छात्रसंघ चुनाव छात्रों का बुनियादी अधिकार है और सरकार उन्हें इससे दूर नहीं रख सकती. वहीं सरकार की तरफ से कहा गया कि ये कोई मौलिक अधिकार नहीं है और अभी नई शिक्षा नीति लागू करने के कारण चुनाव कराना मुश्किल है. कोर्ट ने लिंगदोह कमेटी की सलाह का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि कॉलेज सत्र शुरू होने के आठ हफ्ते के अंदर चुनाव हो जाने चाहिए. लेकिन इस बार वो वक्त भी गुजर चुका है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी निर्देश दिया कि राजस्थान के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में लोकसभा या विधानसभा चुनाव का कोई काम न करवाया जाए. कोर्ट का मानना है कि ऐसा करने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है. पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राजस्थान यूनिवर्सिटी पर भी टिप्पणी की थी. कहा था कि चुनाव के समय कैंपस की इमारतें किराए पर दे देने से पढ़ाई का पूरा शेड्यूल बिगड़ जाता है और यूनिवर्सिटी की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. अब फैसला सरकार के हाथ में है. उसे छात्रसंघ चुनाव की नीति तो बनानी ही है, साथ ही ये भी देखना है कि कॉलेजों में पढ़ाई का माहौल खराब न हो. छात्र नेता इस फैसले को अपनी आधी जीत मान रहे हैं, लेकिन असली राहत तभी मिलेगी जब सरकार नई नीति लेकर आएगी.


