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● बालोतरा,पाली,जोधपुर में रासायनिक जल संकट: फैक्ट्रियाँ बनी जहर की फैक्ट्रियाँ, गांवों को खाली करने का तुगलकी फरमान – सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल का संसद में तीखा प्रहार

● सरकार की विफलता का खामियाजा आमजन भुगत रहा है, फैक्ट्रियों पर कार्रवाई नहीं, उल्टा ग्रामीणों को उजाड़ने का तुगलकी आदेश- सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल

● बालोतरा में जहरीले रासायनिक पानी का कहर: सासंद उम्मेदाराम बेनीवाल संसद में रखी सरकार का तुगलकी फरमान और जनता की पीड़ा

– जोधपुर-पाली-बालोतरा की अवैध फैक्ट्रियों से निकले ज़हर ने तबाह किए गांव, सरकार गांव खाली करवाने में व्यस्त, समाधान की पहल नदारद — उम्मेदाराम बेनीवाल

दिल्ली/बाड़मेर/पाली/जोधपुर/बालोतरा –स्मार्ट हलचल| राजस्थान के बालोतरा, पाली और जोधपुर जिलों में संचालित अवैध और पर्यावरणीय नियमों की खुली अवहेलना कर रही औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ संसद में जोरदार आवाज उठी है। बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इन फैक्ट्रियों की वजह से उत्पन्न भयावह रासायनिक प्रदूषण संकट का विस्तार से वर्णन करते हुए सरकार पर गंभीर लापरवाही, असंवेदनशीलता और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
सांसद बेनीवाल ने कहा कि अवैध और नियमों की धज्जियाँ उड़ाती फैक्ट्रियाँ न केवल पर्यावरण के लिए खतरा बनी हुई हैं, बल्कि हजारों ग्रामीणों के जीवन, जल स्रोतों, पशुधन और खेती को भी बर्बाद कर रही हैं। खेत खलिहान बंजर और वनस्पति नष्ट और वन्यजीव मौत के शिकार हो रहे हैं। इन फैक्ट्रियों से निकला रासायनिक जहरीला पानी अब खेत, जलाशय, घर, स्कूल और श्मशान भूमि तक पहुंच चुका है। गांवों में दो-तीन फीट तक रासायनिक पानी जमा है, जिससे जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।

● CEPT और ETP प्लांट सिर्फ कागजों में, धरातल पर जंग खा रहे, भ्रष्टाचार और मिलीभगत से जमीनी हकीकत पर पर्दा

सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने संसद में इस गंभीर मुद्दे को उठाते हुए कहा कि इन फैक्ट्रियों में दिखावे के लिए CEPT और ETP प्लांट सिर्फ कागजों में चल रहे हैं। लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि ये उपकरण कंडम हो चुके हैं और वर्षों से निष्क्रिय पड़े हैं। सांसद ने कहा सरकार सिर्फ कागज़ी आंकड़ों सीईटीपी और ईटीपी प्लांट के संचालन का दावा करके गुमराह कर रही है, जबकि धरातल पर ये प्लांट जंग खाकर कंडम हो चुके हैं। जबकि धरातल पर ग्रामीण इस प्रदूषण का दंश ग्रामीण झेल रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के बार-बार के आदेशों के बावजूद, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सांसद ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया जांच दल भ्रष्ट अधिकारियों और उद्योगपतियों के साथ मिलकर पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट तैयार करता है, जबकि धरातल पर जहरीले पानी का बहाव जारी है।

● गांव-गांव में फैली तबाही, स्कूल और श्मशान तक जलमग्न

सासंद उम्मेदाराम बेनीवाल ने बताया कि बालोतरा जिले के डोली गांव का सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय पिछले 15 दिनों से बंद पड़ा है क्योंकि उसमें रासायनिक पानी भर चुका है और कभी भी इमारत गिर सकती है। इतना ही नहीं, 24 जुलाई को एक ग्रामीण की मौत के बाद शव का दाह संस्कार तक नहीं किया जा सका क्योंकि श्मशान भूमि भी जलमग्न हो चुकी थी। इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने शव सहित पांच घंटे तक हाईवे जाम कर दिया। जवाब में प्रशासन ने ग्रामीणों को घर खाली करने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया और जिम्मेदारी जनता पर डाल दी।
इसके अलावा कल्याणपुर क्षेत्र के आसपास डोली, अराबा, मेलबा, धवा और राजेश्वर नगर समेत दर्जनों गांवों की स्थिति बदतर हो चुकी है। खेतों, स्कूलों, श्मशानों, घरों और सार्वजनिक भवनों में दो से तीन फीट गहरा जहरीला पानी जमा हो चुका है।

● ” मरूगंगा लूणी नदी, जोजरी और बांडी जैसी जलधाराएं हो रही जहरीली और प्रदूषित”

बेनीवाल ने बताया कि जोधपुर-पाली-बालोतरा की फैक्ट्रियों से निकला रासायनिक अपशिष्ट के कारण केवल स्थानीय जल स्रोत नहीं, बल्कि मरूगंगा लूणी जैसी ऐतिहासिक नदी भी बर्बादी की कगार पर है। यह प्रदूषण न केवल मानवीय स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि कृषि, पशुधन, वन्यजीव और पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी अत्यंत घातक सिद्ध हो रहा है। दूषित पानी बांडी, जोजरी, सुकड़ी जैसी सहायक नदियों के साथ-साथ मरुगंगा लूणी नदी में मिल रहा है। इससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है, बल्कि हजारों ग्रामीणों का जीवन भी संकट में है।

● “गांव खाली करो नहीं तो जिम्मेदारी आपकी” – प्रशासन का तुगलकी आदेश

सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने कहा कि सरकार और भ्रष्टाचार से लिप्त अधिकारियों ने फैक्ट्रियों स्थिति की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए प्रशासन ने बालोतरा जिले के कल्याणपुर के अराबा गाँव के ग्रामवासियों को खाली करने का आदेश जारी कर दिया। आदेश में लिखा गया कि यदि ग्रामीण घर नहीं छोड़ते हैं तो इसके दुष्परिणामों के लिए वे खुद जिम्मेदार होंगे। सांसद ने इसे सरकार की तानाशाही मानसिकता और प्रशासनिक विफलता का प्रतीक बताया।

“जनहितैषी शासन या उद्योगपति-हितैषी सिस्टम”

बेनीवाल ने सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब पर्यावरण के नाम पर “एक पेड़ मां के नाम” अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है, तो लूणी जैसी जीवनदायिनी नदी और मरु क्षेत्र की जैवविविधता की रक्षा क्यों नहीं की जा रही?
अगर घर नहीं छोड़ा तो दुष्परिणामों की जिम्मेदारी आपकी होगी!”
प्रशासन द्वारा जारी आदेश में लिखा गया है कि जोधपुर से आ रहे रासायनिक बहाव के कारण लोग अपने घर खाली करें अन्यथा इसका खतरा स्वयं उठाएं। इस आदेश ने पहले से पीड़ित ग्रामीणों को और भी गहरे संकट में धकेल दिया है।

सांसद के सवाल और सरकार से तीखी मांगें:
1. अगर पानी जहरीला है तो अवैध फैक्ट्रियों से जहरीले पानी का बहाव रोकने के प्रयास क्यों नहीं किए गए?
2. फैक्ट्रियों के CEPT/ETP प्लांट की स्थिति का ईमानदारी से निरीक्षण कब होगा?
3. जांच दल ने बंद कमरे में रिपोर्ट कैसे बनाई – क्या यह मिलीभगत नहीं?
4. जब संकट गहराया हालत बिगड़ी, तो गांव खाली करवाने का फरमान क्यों दिया गया?
5. क्या कोई पुनर्वास नीति, राहत पैकेज या मुआवजा योजना ग्रामीणों के लिए बनाई गई?
6. क्या यही है “जनहितैषी शासन” जहाँ उद्योगपतियों को संरक्षण और ग्रामीणों को विस्थापन मिलता है और क्या सरकार का समाधान सिर्फ “स्थायी विस्थापन” है?

● सांसद ने केंद्र सरकार से मांग की कि:-
— दोषी अधिकारियों और फैक्ट्री संचालकों पर तत्काल सख्त कार्रवाई हो।
— एक विशेष निगरानी दल गठित कर ईमानदारी से जांच हो।
जिन इकाइयों ने नियमों का उल्लंघन किया है, उन पर भारी जुर्माना लगाकर उन्हें बंद किया जाए।
— सभी फैक्ट्रियों में मानक CEPT/ETP अनिवार्य रूप से संचालित हों और उनकी नियमित निगरानी की जाए, ताकि दूषित पानी को शुद्ध करने से पहले नदियों और नालों में न छोड़ा जाए।
— प्रभावित गांवों के लिए पुनर्वास नीति और राहत पैकेज की घोषणा की जाए।

● “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान और जमीनी सच्चाई

सांसद ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान चला रहे हैं, लेकिन बालोतरा जैसे क्षेत्रों में हजारो पेड़-पौधे और वनस्पति के नष्ट होती पर्यावरण की तबाही पर आँखें मूंदे हुए हैं। क्या यही पर्यावरण संरक्षण है?

● यह संकट प्राकृतिक नहीं, बल्कि सरकारी नाकामी और विफलता का परिणाम है- बेनीवाल

सांसद बेनीवाल ने चेताया कि यदि समय रहते इस पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो यह एक गंभीर जनस्वास्थ्य आपदा बनकर उभरेगा। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से इस विषय पर प्राथमिकता से संज्ञान लेने और त्वरित कदम उठाने की माँग की है।
सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने यह स्पष्ट किया कि यह संकट प्राकृतिक नहीं, बल्कि सरकार की विफल नीति, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक निष्क्रियता का प्रत्यक्ष परिणाम है। यदि सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह संकट और भी गंभीर जनस्वास्थ्य त्रासदी का रूप ले सकता है।

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