सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ):- शिक्षित होना और शिक्षा व्यवस्था का मजबूत होना आज के समय में बेहद जरूरी है । शिक्षा जहां दी जाती है और जहां बच्चे शिक्षित होते हैं, उस जगह का सुरक्षित होना भी आवश्यक है। विद्यालय जहां आप शिक्षा पाकर ही अपने आप को, अपने परिवार और अपने समाज को सुरक्षित रख सकते हैं, लेकिन अगर वही जगह सुरक्षित महसूस न करवा पाए तो ? मतलब जहां आप बैठकर शिक्षा ले रहे हो या शिक्षा दे रहे हो तो क्या विद्यालय के ढांचे में वो मजबूती है ? जिससे आप ध्यान लगाकर पढ़ाई कर सको । यदि स्कूल की इमारत ही जर्जर हो या उनकी दीवारों और छत इतनी कमजोर हो कि देखकर हमेशा ये डर बना रहे की अभी गिर जाएगी, वहां शिक्षा से ज्यादा भय लगा रहता है । गत दिनों झालावाड़ जिले के पीपलोदी के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय का हादसा इसकी सच्चाई है, जिसका कमरा छत सहित एकाएक भर-भरा कर धराशाई हो गया, जिसके नीचे दबने से सात मासूम बच्चों की मौत हो गई, वही कई बच्चे घायल हो गए । ऐसा ही हाल सवाईपुर क्षेत्र में बड़लियास कस्बे के राजकीय प्राथमिक विद्यालय किरों की झोपड़ियां का जर्जर भवन खतरों से कम नहीं है, क्योंकि यहां के भवन की हालत बहुत ही खराब हो चुकी है, यह विद्यालय बेड़च नदी किनारे स्थित जलदाय विभाग के बने दो क्वार्टर में संचालित हो रहा हैं, जिसमें बच्चों के पढ़ने के साथ ही विद्यालय का सामान व प्रधानाध्यापिका का ऑफिस भी उन्हें दो कमरों में ही संचालित हो रहा है, लेकिन अब धीरे-धीरे भवन जवाब देने लग गया है, क्योंकि भवन बहुत ही पुराना है मई 2013 से जलदाय के भवन में विद्यालय संचालित हो रही है, कई वर्षों पूर्व इस भवन का निर्माण किया गया था, भवन की छत के चारों तरफ बड़ी-बड़ी दरारें आ रहे हैं, जिससे कभी भी हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है, विद्यालय में वर्तमान में 18 बच्चों का नामांकन है । विद्यालय प्रबंधन द्वारा कई बार शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को मौखिक व पत्र भेजकर अवगत करवाया गया, लेकिन अब तक ना तो विद्यालय के लिए भूमि आवंटित हुई और ना ही इस भवन के मरम्मत हुई, जिसके चलते अभिभावक भी अपने बच्चों को विद्यालय भेजने से कतराते हैं, जब कभी जलदाय विभाग का कोई भी कार्य चलता है तो यह विद्यालय एक कमरे में सीमित होकर रह जाता है, वही विद्यालय के चारों ओर कंटीली झाड़ियां होने के चलते जहरीले जीव जंतुओं का भी खतरा बना रहता है