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पंजाब में चिंता का विषय बन रही है हृदय रोगी बच्चों की बढ़ती संख्या

सुभाष आनंद
स्मार्ट हलचल|आर.टी.आई इंफॉर्मेशन के अनुसार पंजाब में हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का इलाज का दायित्व पंजाब सरकार स्वयं उठा रही है। जो बच्चे हृदय रोग से पीड़ित हैं ,उनके लिए यह सरकार बड़ी राहत के रूप में आ रही है। पिछले तीन वर्षों में पंजाब का स्वास्थ्य विभाग हृदय रोगी बच्चों के लिए विशेष अभियान चला रहा है। हृदय के ब्लॉकेज को खोलने के लिए पंजाब के विशेषज्ञ अस्पतालों से अनुबंध किया है, साथ ही सीरियस केसों के लिए गुरुद्वारे के स्पेशल अस्पतालों से भी अनुबंध किया हुआ है।

पंजाब में जिन बच्चों के हृदय में ब्लाकेज है, उनके लिए मेट्रो सिटी में खास प्रबंध किए जा रहे हैं, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंजाब की पी.जी.आई में 528 केस अन्य विभागों को ट्रांसफर हो चुके हैं जिनमें 7 फीसदी से ज्यादा अति गंभीर हैं जबकि 93 फीसदी नॉर्मल है। मरीजों की लंबी लिस्ट होने के कारण इनकी बारी आने में 6 से 7 महीने तक लग जाते हैं। वहीं विभिन्न विभिन्न विभागों में काम करने वाले हृदय रोग विशेषज्ञ दिनेश चड्ढा का कहना है कि हमारे पास हृदय में छेद वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है , जो गंभीर चिंता का विषय है। हम एक दिन में केवल 5 से 6 बच्चों का ही ऑपरेशन कर पाते हैं। अन्य राज्यों से भी यहां ह्दय रोगी बच्चे आते हैं। इसी कारण स्थानीय बच्चों के इलाज में भी समय तो लगता ही है। वहीं डॉक्टर प्रतिभा सिंह का कहना है कि कभी-कभी इमरजेंसी में भी ऑपरेशन करना पड़ता है।
आरटीआई में पंजाब सरकार जो सूचनाएं दे रही है उसको कोर्ट में चैलेंज किया गया है ,स्कूली बच्चों के प्राथमिकता से इलाज के लिए हाईकोर्ट में एक रिट अभी-अभी डाली गई है ,जिसका फैसला अभी आना है। पंजाब के नामी अस्पताल हाईकोर्ट में फर्जी एफिडेविट डाल रहे हैं , जिसका सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा नोटिस लिया, कई प्राइवेट अस्पतालों के लाइसेंस रद्द किए जा रहे हैं ,कई नए अस्पतालों को कुछ महीनों तक रद्द किया जा रहा है।
पंजाब के सतगुरु राम गुरु सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल लुधियाना में बच्चों को भर्ती नहीं किया जाता, क्योंकि वह पंजाब सरकार की सरकारी लिस्ट में नहीं है।

राष्ट्रीय बाल विकास योजना की गाइडलाइन के अनुसार 31 बीमारियों के लिए बच्चों की स्क्रीनिंग की जाती है। एक बच्चे के दिल के इलाज पर सरकार 70 हजार से एक लाख 20 हजार रुपए खर्च कर रही है। जिन बच्चों के दिल में छेद है ,उनकी स्क्रीनिंग, इलाज और सर्जरी के लिए 18 वर्ष की उम्र होने तक फॉलोअप किया जाता है।
आम आदमी पार्टी फिरोजपुर के एक नेता ने कहा कि सरकार की यह स्कीम गरीब लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। गरीब बच्चों को महंगे अस्पतालों में बढ़िया इलाज मिल रहा है ,प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी बच्चों का बढ़िया इलाज हो रहा है,दिल की बीमारी से जूझ रहे बच्चों के इलाज का खर्च सरकार स्वयं उठा रही है। वहीं मास्टर मदनलाल का कहना है कि आम आदमी पार्टी का यह अच्छा कदम है ,जिससे समाज के हर वर्ग को मदद मिल रही है।
कागजों पर तो सभी योजनाएं अच्छी लगती हैं। यह योजना भी ऐसी ही है। अनेक बच्चों का इस योजना में इलाज भी हुआ है और अब वे स्वस्थ भी हैं लेकिन साथ ही अब यह शिकायत आई है कि इस योजना में भी राजनीतिक दखलंदाजी होने लगी है। अब आरोप है कि विधानसभा के सदस्य बच्चों के ह्दय के छेद को बंद करने के लिए जिनकी सिफारिशें करते है, इलाज में उन्हीं बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है। वहीं पंजाब के कई मेडिकल विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि हमारी रिपोर्ट को कोई महत्व नहीं दिया जाता ।वहीं नूरपुर बेदी के एक स्पेशलिस्ट ने सीधे सीधे भगवंत मान पर आरोप लगाया कि पिछले वर्ष अगस्त में मैंने एक दलित जाति के पांचवी कक्षा के बच्चे की सर्जरी की सिफारिश की थी, लेकिन वहां के विधायक की सिफारिश ना होने के कारण बच्चे की मौत हो गई । जिसके लिए भगवंत मान सरकार को दोषी मानकर उन पर कानूनी कार्रवाई होना चाहिए।
बताया गया है कि धर्मकोट के 14 वर्षीय दलित बच्चे को हृदय में ब्लाकेज की शिकायत थी, जिसके इलाज के लिए धर्मकोट की पंचायत ने सीधे मुख्यमंत्री मान से अनुरोध किया था ,लेकिन दस महीने तक उसकी फाइल सरकारी दफ्तरों में बंद रही, जिसके कारण समय पर इलाज न मिलने से उस बच्चे की मृत्यु हो गयी।
गर्भवती महिलाओं के गलत खानपान, शराब पीने और सिगरेट का सेवन करने से बच्चों के दिल में छेद होने की ज्यादा संभावनाएं होती है । छोटे-छोटे छेदों को सलंग के द्वारा बंद कर दिया जाता है जबकि बड़े-बड़े छेदों को भरने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ती है। वही विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब में 1000 बच्चों के पीछे 6 केस ऐसे आ रहे हैं। इन बाल हृदय रोगियों में से कई के पिता को कोई बीमारी नहीं होती। लेकिन यदि मां के हृदय में कोई बीमारी है तो उसका प्रभाव बच्चों के शरीर पर पड़ रहा है। यदि माता गर्भावस्था में दवाइयां ले रही है तो उसका असर भी बच्चों पर पड़ सकता है। यह देखा गया है कि यदि परिवार की स्त्रियां सिगरेट और शराब का प्रयोग करती है तो उनके बच्चों को ऐसी समस्या आ सकती है। वहीं डॉक्टर बागी का कहना है कि यदि छोटी उम्र में छेद भर जाए तो हृदय का वाल्व सही हो जाता है और बच्चों का विकास भी ठीक होता है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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