(हरिप्रसाद शर्मा )
अजमेर/स्मार्ट हलचल|अजमेर शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में गिने जाने वाले सेवन वंडर्स को ध्वस्त करने की कार्रवाई सोमवार को चौथे दिन भी जारी रही। अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह कार्रवाई शुरू की है। सोमवार को एफिल टावर का ढांचा पूरी तरह से हटा दिया गया, वहीं पीसा की झुकी हुई मीनार को तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है। ताजमहल को भी हटाने के लिए मजदूर जुट गए हैं और उसे हथौड़े और छैनी से तोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही यहां का मलबा और लोहा हटाने का काम तेजी से चल रहा है। अब तक सात में से पांच अजूबे पूरी तरह से जमींदोज किए जा चुके हैं।
*सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आनासागर वेटलैंड क्षेत्र में बने इन संरचनाओं को अवैध घोषित किया था। इसके बाद अजमेर विकास प्राधिकरण ने चरणबद्ध तरीके से ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की। इस पूरे परिसर को 17 सितंबर तक पूर्व की स्थिति में लाने की डेडलाइन तय की गई है। ADA अधिकारियों के अनुसार, सेवन वंडर्स की चारदीवारी भी हटाई जाएगी और यहां खुदाई कर मूल स्वरूप बहाल किया जाएगा।
*11 करोड़ रुपये की लागत से हुआ था निर्माण
साल 2022 में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत लगभग 11 करोड़ रुपये खर्च कर इन सात अजूबों की प्रतिकृतियां तैयार की गई थीं। इनमें रोम का कोलोसियम, मिस्र के पिरामिड, अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, ब्राजील का क्राइस्ट द रिडीमर, फ्रांस का एफिल टावर, इटली की झुकी हुई मीनार और भारत का ताजमहल शामिल थे। इन संरचनाओं को अजमेर के लिए पर्यटन का नया केंद्र बनाने की योजना थी, लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद इन्हें पूरी तरह से हटाया जा रहा है।
*किस दिन कौन सा अजूबा टूटा?
कार्रवाई के पहले दिन 12 सितंबर को रोम का कोलोसियम ध्वस्त किया गया। दूसरे दिन 13 सितंबर को मिस्र के पिरामिड, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी और क्राइस्ट द रिडीमर को गिराया गया। चौथे दिन यानी 15 सितंबर को एफिल टावर को जमींदोज कर दिया गया और पीसा की मीनार तोड़ने का काम शुरू किया गया। अब ताजमहल को हटाने की तैयारी चल रही है।
*राजनीतिक बयानबाजी भी तेज
सेवन वंडर्स को तोड़े जाने की कार्रवाई के बीच राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। अजमेर जिला यूथ कांग्रेस अध्यक्ष मोहित मल्होत्रा ने कहा कि अधिकारियों की मिलीभगत से जनता के मेहनत के 11 करोड़ रुपये बर्बाद किए गए। उनका कहना है कि इस नुकसान की भरपाई अधिकारियों की सैलरी से की जानी चाहिए और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
*जनता में नाराजगी और निराशा
स्थानीय लोग भी इस फैसले से निराश नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद यह परियोजना अल्पकालिक साबित हुई। कुछ लोगों का मानना है कि यदि प्रारंभ में ही निर्माण कार्य से पहले वैधानिक अनुमति और पर्यावरणीय नियमों पर ध्यान दिया जाता तो जनता का धन व्यर्थ न होता। वहीं दूसरी ओर, पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से कोर्ट के इस आदेश का स्वागत भी किया जा रहा है।
*17 सितंबर तक पूरा होगा काम
ADA ने स्पष्ट किया है कि 17 सितंबर तक सेवन वंडर्स का सारा ढांचा, मलबा और चारदीवारी पूरी तरह से हटा दी जाएगी। साथ ही इस क्षेत्र को पहले की स्थिति में लौटाने की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि कोर्ट के आदेश का पालन करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।