Citizenship Amendment Act:नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देशों के बयान पर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कड़ा जवाब दिया है.विदेश मंत्री ने कहा,इन देशों को अपने यहां मौजूद नियमों को देखना चाहिए,इस तरह से विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पश्चिमी देशों को आईना दिखाया है.भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी की ओर से सीएए पर की गई टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि,भारत कोई पहला देश नहीं है जो इस तरह का कोई बिल लाया है.
दुनिया में इस तरह के कानून के बहुत सारे उदाहरण हैं….विदेश मंत्री ने अमेरिका को जवाब देते हुए कहा कि,मैं अमेरिकी लोकतंत्र में दोष पर सवाल नहीं उठा रहा हूं,उनके सिद्धांत या अन्य चीजों पर सवाल नहीं उठा रहा हूं.मैं उनकी उस समझ पर सवाल उठा रहा हूं, जो हमारे इतिहास के बारे में है…अगर आपके पास जानकारी नहीं है तो आप कहेंगे कि,भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं,वो समस्याएं पैदा ही नहीं हुईं,जिसे सीएए कानून में एड्रेस किया गया है.अगर आप कोई प्रॉब्लम को लेते हैं और उसमें से ऐतिहासिक प्रसंग को मिटाकर,बात करते हैं तो ये संभव नहीं है।
एस जयशंकर ने कहा कि विभाजन के दौरान भारत के नेतृत्व ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों से वादा किया था कि देश में उनका स्वागत है.उन्होंने कहा, इस देश के नेतृत्व ने इन अल्पसंख्यकों से वादा किया है कि यदि आपको कोई समस्या है, तो भारत आने के लिए आपका स्वागत है। इसके बाद नेतृत्व ने अपना वादा पूरा नहीं किया। यह सिर्फ हमारी समस्या नहीं है। यदि आप यूरोप को देखें, तो कई यूरोपीय देशों ने विश्व युद्ध में या कुछ मामलों में विश्व युद्ध से बहुत पहले छूट गए लोगों की नागरिकता को तेजी से ट्रैक किया, कुछ ऐतिहासिक मुद्दे जिन पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, उस समुदाय के प्रति मेरा नैतिक दायित्व है।