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भारतीय इतिहास: हमारे देश में सभ्यता और संस्कृति कैसे विकसित हुई, धर्म और धार्मिक व्यवहार कैसे अस्तित्व में आये

Civilization and Culture in our country

भारत एक महान देश है जिसका इतिहास इतना समृद्ध है कि आपको हर कोने में छुपा हुआ मिलेगा। इतिहास का अध्ययन करने पर हम ये जान पाते हैं कि हमारे देश में सभ्यता और संस्कृति कैसे विकसित हुई, धर्म और धार्मिक व्यवहार कैसे अस्तित्व में आये या फिर कौन कौन सी कई ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं घटित हुई है। भारतीय इतिहास की शुरुआत हज़ारों साल पहले होमो सेपियन्स के साथ हुई थी। होमो सेपियन्स अफ्रीका, दक्षिण भारत, बलूचिस्तान से होते हुए सिंधु घाटी पहुंचे और यहाँ नगरीकरण का बसाव किया जिससे सिंधु घाटी सभ्यता विकसित हुई। भारतीय इतिहास, सिंधु घाटी की रहस्यमई संस्कृति से शुरू होकर भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक फैला। इससे अधिक जानकारी के लिए ये ब्लॉग पूरा पढ़ें। इस ब्लॉग के माध्यम से आपको Indian History के बारे में विस्तार से जानने को मिलेगा। आईये जानते हैं।

भारतीय इतिहास के भाग

दुनिया के इतिहास की तरह, भारतीय इतिहास (History of India ) को विस्तार से समझने के लिये 3 भागों में वर्गीकृत किया गया है, जो कि निम्नलिखित हैं:-

  1. प्राचीन भारत 
  2. मध्यकालीन भारत
  3. आधुनिक भारत 

प्राचीन भारत का इतिहास

प्राचीन भारत का इतिहास पाषाण युग से लेकर इस्लामी आक्रमणों तक है। इस्लामी आक्रमण के बाद भारत में मध्यकालीन भारत की शरुआत हो जाती है।

प्राचीन भारतीय इतिहास का घटनाक्रम

Indian History के इस ब्लॉग में प्राचीन भारतीय इतिहास के घटनाक्रम को विस्तार से जानते हैं।

  • प्रागैतिहासिक कालः 400000 ई.पू.-1000 ई.पू. : इस समय में मानव ने आग और पहिये की खोज की।
  • सिंधु घाटी सभ्यताः 2500 ई.पू.-1500 ई.पू. : सिंधु घाटी सभ्यता सबसे पहली व्यवस्थित रूप से बसी हुई सभ्यता थी। नगरीकरण की शरुआत सिंधु घाटी सभ्यता से मानी जाती है।
  • महाकाव्य युगः 1000 ई.पू.-600 ई.पू. : इस समय काल में वेदों का संकलन हुआ और वर्णों के भेद हुए जैसे आर्य और दास।
  • हिंदू धर्म और परिवर्तनः 600 ई.पू.-322 ई.पू. : इस समय में जाति प्रथा अपने चरम पर थी। समाज में आयी इस रूढ़िवादिता का परिणाम महावीर और बुद्ध का जन्म था। इस समय में महाजनपदों का गठन हुआ। 600 ई. पू.- 322 ई. पू. में बिम्बिसार, अजात शत्रु, शिशुनंगा और नंदा राजवंश का जन्म हुआ।
  • मौर्य कालः 322 ई.पू.-185 ई.पू. चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित इस साम्राज्य में पूरा उत्तर भारत था, जिसका बिंदुसार ने और विस्तार किया। कलिंग युद्ध इस समयकाल की घटना है, जिसके बाद राजा अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया।
  • आक्रमणः 185 ई.पू.-320 ईसवीः इस समयकाल में बक्ट्रियन, पार्थियन, शक और कुषाण के आक्रमण हुए। व्यापार के लिए मध्य एशिया खुला, सोने के सिक्कों का चलन और साका युग का प्रारंभ हुआ।
  • दक्कन और दक्षिणः 65 ई.पू.-250 ईसवीः इस काल में चोल, चेर और पांड्या राजवंश ने दक्षिण भारत पर अपना शासन जमा रखा था। अजंता एलोरा की गुफाओं का निर्माण इसी समयकाल की देन है, इसके अलावा संगम साहित्य और भारत में ईसाई धर्म का आगमन हुआ।
  • गुप्त साम्राज्यः 320 ईसवी-520 ईसवीः इस काल में चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की स्थापना की, उत्तर भारत में शास्त्रीय युग का आगमन हुआ, समुद्रगुप्त ने अपने राजवंश का विस्तार किया और चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शाक के विरुद्ध युद्ध किया। इस युग में ही शाकुंतलम और कामसूत्र की रचना हुई। आर्यभट्ट ने खगोल विज्ञान में अद्भुत कार्य किए और भक्ति पंथ भी इस समय उभरा।
  • छोटे राज्यों का उद्भव : 500 ईसवी-606 ईसवीः इस युग में हूणों के उत्तर भारत में आने से मध्य एशिया और ईरान में पलायन देखा गया। उत्तर में कई राजवंशों के परस्पर युद्ध करने से बहुत से छोटे राज्यों का निर्माण हुआ।
  • हर्षवर्धनः 606 ई-647 ईसवीः हर्षवर्धन के शासनकाल में प्रसिद्ध चीनी यात्री हेनत्सांग ने भारत की यात्रा की। हूणों के हमले से हर्षवर्धन का राज्य कई छोटे राज्यों में बँट गया। इस समय में दक्कन और दक्षिण बहुत शक्तिशाली बन गए।
  • दक्षिण राजवंशः 500ई-750 ईसवीः इस समय में में चालुक्य, पल्लव और पंड्या साम्राज्य का उद्भव हुआ और पारसियों का भारत आगमन हुआ था।
  • चोल साम्राज्यः 9वीं सदी ई-13वीं सदी ईसवीः विजयालस द्वारा स्थापित चोल साम्राज्य ने समुद्र नीति अपनाई। इस समय में मंदिर सांस्कृतिक और सामाजिक केन्द्र होने लगे और द्रविड़ियन भाषा फलने फूलने लगी।
  • उत्तरी साम्राज्यः 750ई-1206 ईसवीः इस समय राष्ट्रकूट ताकतवर हुआ, प्रतिहार ने अवंति और पलस ने बंगाल पर शासन किसा। इसी के साथ मध्य भारत में राजपूतों का उदय हो रहा था। इस समय में भारत पर तुर्क आक्रमण हुआ जिसके बाद मध्यकालीन भारत का प्रारम्भ हुआ।

सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में विस्तार से

सिंधु घाटी की सभ्यता के साथ भारतीय इतिहास का जन्म हुआ था। सिंधु घाटी की सभ्यता दक्षिण एशिया के पश्चिमी हिस्से में लगभग 2500 BC में फैली हुई है। Indian History  में सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है:

  • यह क्षेत्र आज के समय में पाकिस्तान और पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है।
  • सिंधु घाटी की सभ्यता 4 हिस्सों में बांटी गई है:
    • सिंधु घाटी मिश्र
    • मेसोपोटामिया
    • भारत
    • चीन
  • 1920 तक मनुष्य को सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था।
  • परंतु जब भारतीय पुरातात्विक विभाग ने इस घाटी की खुदाई की थी तब उन्हें दो पुराने शहर के बारे में पता चला था।
    • मोहनजोदाड़ो
    • हड़प्पा
  • यहां पर कहीं सारी चीजें मिली थी:
    • घरेलू सामान
    • युद्ध के हथियार
    • सोने के आभूषण
    • चांदी के आभूषण
    • मुहर
    • खिलौने
    • बर्तन
  • सिंधु घाटी की सभ्यता को व्यापार के केंद्र के नाम से भी जाना जाता है।
  • यहाँ सभी चीजों की देखभाल बहुत ही अच्छी तरीके से रखी जाती थी।
  • सिंधु घाटी सभ्यता में चौड़ी सड़कें और सुविकसित निकास प्रणाली भी स्थित थे।
  • यहां पर घरों पर पुताई होती थी और घर ईटों से बने होते थे।
  • साथ ही यहां पर दो या दो से अधिक मंजिलें भी होती थीं।
  • हड़प्पा सभ्यता का 1500 BC तक अंत हो गया था।
  • माना जाता है कि प्राकृतिक आपदाओं के आने के कारण सिंधु घाटी की सभ्यता भी नष्ट हो गई थी।

    बौद्ध धर्म

    भगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ और तथागत के भी नाम से जाना जाता है। ‍बुद्ध के पिता का नाम कपिलवस्तु था, वह राजा शुद्धोदन थे और इनकी माता का नाम महारानी महामाया देवी था। बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा था और उनके पुत्र का नाम राहुल था। भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ था। यह बात जानने को मिली कि इसी दिन 528 ईसा पूर्व में उन्होंने भारत के बोधगया में सत्य को जाना और साथ में इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में भारत के कुशीनगर में निर्वाण (मृत्यु) को प्राप्त हुए।

    Indian History में अब बौद्ध धर्म के बारे में विस्तार से जानते हैं। इतिहास में इस बात का उल्लेख भी किया गया है कि जब महात्मा बुद्ध को सच्चे बोध की प्राप्ति हुई उसी वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा को वे काशी के पास मृगदाव (वर्तमान में सारनाथ) पहुँचे। यह बात भी जानने को मिलती है कि वहीं पर उन्होंने सबसे पहला धर्मोपदेश दिया, जिसमें उन्होंने लोगों से मध्यम मार्ग अपनाने के लिए कहा। साथ में इस बात का उल्लेख भी हुआ है कि उन्होंने चार आर्य सत्य अर्थात दुःखों के कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया, अहिंसा पर जोर दिया, और यज्ञ, कर्म कांड और पशु-बलि की निंदा की।

    गुप्त साम्राज्य 

    गुप्त साम्राज्य के दो महत्वपूर्ण राजा हुए, समुद्रगुप्त और दूसरे चंद्रगुप्त द्वितीय। गुप्त वंश के लोगों के द्वारा ही संस्कृत की एकता फिर एकजुट हुई। चंद्रगुप्त प्रथम ने 320 ईस्वी को गुप्त वंश की स्थापना की थी और यह वंश करीब 510 ई तक शासन में रहा। 463-473 ई में सभी गुप्त वंश के राजा थे, केवल नरसिंहगुप्त बालादित्य को छोड़कर। बालादित्य ने बौद्ध धर्म अपना लिया था, शुरुआत के दौर में इनका शासन केवल मगध पर था, पर फिर धीरे-धीरे संपूर्ण उत्तर भारत को इन्होने अपने अधीन कर लिया था। गुप्त वंश के सम्राटों में क्रमश : श्रीगुप्त, घटोत्कच, चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, रामगुप्त, चंद्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त प्रथम (महेंद्रादित्य) और स्कंदगुप्त हुए। देश में कोई भी ऐसी शक्तिशाली केन्द्रीय शक्ति नहीं थी , जो अलग-अलग छोटे-बड़े राज्यों को विजित कर एकछत्र शासन-व्यवस्था की स्थापना कर पाती । यह जो काल था वह  किसी महान सेनानायक की महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिये सर्वाधिक सुधार का अवसर के बारे में बता रहा था। फलस्वरूप मगध के गुप्त राजवंश में ऐसे महान और बड़े सेनानायकों का विनाश हो रहा था ।

    मौर्य साम्राज्य का परिचय

    मौर्य साम्राज्य मगध में स्थित दक्षिण एशिया में भौगोलिक रूप से व्यापक लौह युग की ऐतिहासिक शक्ति थी, जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ई.पू. मौर्य साम्राज्य को भारत-गंगा के मैदान की विजय द्वारा केंद्रीकृत किया गया था, और इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में स्थित थी। इस शाही केंद्र के बाहर, साम्राज्य की भौगोलिक सीमा सैन्य कमांडरों की वफादारी पर निर्भर करती थी, जो इसे छिड़कने वाले सशस्त्र शहरों को नियंत्रित करते थे। अशोक के शासन (268-232 ईसा पूर्व) के दौरान, साम्राज्य ने गहरे दक्षिण को छोड़कर भारतीय उपमहाद्वीप के प्रमुख शहरी केंद्रों और धमनियों को संक्षेप में नियंत्रित किया। अशोक के शासन के लगभग 50 वर्षों के बाद इसमें गिरावट आई, और पुष्यमित्र शुंग द्वारा बृहदरथ की हत्या और मगध में शुंग वंश की नींव के साथ 185 ईसा पूर्व में भंग कर दिया गया।

    मध्यकालीन भारत का इतिहास

    मध्यकालीन भारत की शुरुआत भारत पर इस्लामी आक्रमण से मानी जाती है। वर्तमान के उज़बेकिस्तान के शासक तैमूर और चंगेज़ खान के वंशज बाबर ने सन् 1526 में खैबर दर्रे को पार किया और वहां मुगल साम्राज्य की स्थापना की, जहां आज अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश स्थित हैं। बाबर के भारत आने के साथ भारत में मुग़ल वंश की स्थापना हुई। सन् 1600 तक मुगल वंश ने भारत पर राज किया। सन् 1700 ई. के बाद इस वंश का पतन होने लगा और ब्रिटिश सत्ता फैलने लगी। भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के समय सन् 1857 में मुग़ल वंश का पूरी तरह खात्मा हो गया।

    मध्यकालीन भारत का घटनाक्रम

    Indian History  के इस ब्लॉग में मध्यकालीन भारत का घटनाक्रम नीचे दिया गया है :-

    • प्रारंभिक मध्यकालीन युग ( 8वीं से 11 वीं शताब्दी ): इस समयकाल में गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद और दिल्ली सल्तनत का प्रारंभ हुआ जिसके परिणाम स्वरूप भारतवर्ष कई छोटे राज्य में बट गया था।
    • गत मध्यकालीन युग ( 12वीं से 18वीं शताब्दी ): इस समयकाल में पश्चिम में मुस्लिम आक्रमणों ने तेजी पकड़ ली थी तो दूसरी तरफ दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैयद वंश और लोदी वंश का उद्भव हुआ।
    • विजयनगर साम्राज्य का उदय: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर तथा बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। यह उस समय का एकमात्र हिन्दू राज्य था जिस पर अल्लाउदीन खिलजी ने आक्रमण किया था। जिसके बाद हरिहर और बुक्का ने मुस्लिम धर्म अपना लिया।
    • मुग़ल वंश: मुग़ल वंश के प्रारंभ के साथ दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया। बाबर के भारत पर आक्रमण करने के बाद भारत में मुग़ल वंश की स्थापना की।1857 की क्रांति के साथ ही मुग़ल वंश का पतन हो गया और ब्रिटिश शासन के साथ आधुनिक भारत की शुरुआत हुई।

    एंग्लो-मराठा युद्ध

    Indian History  की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक, एंग्लो-मराठा युद्ध, मराठों और अंग्रेजों के बीच संघर्ष की घटनाओं को कवर करता है। मराठों की हार के बाद 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मरने वाले शासक बालाजीबाजी राव थे। वह अपने बेटे माधव राव द्वारा शुरू किए गए युद्ध में लड़ रहे थे जो कि असफल हो गया था। जबकि बालाजी बाजी राव के भाई रघुनाथ राव अगले पेशवा बन गए। अंग्रेजों ने 1772 में माधव राव की मृत्यु के बाद मराठों के साथ पहला युद्ध लड़ा। Indian History के इस ब्लॉग में नीचे उन घटनाओं का सारांश है जो मध्यकालीन भारत के इस महत्वपूर्ण चरण को समझने में आपकी मदद करेंगे, जो एंग्लो-मराठा युद्ध के दौरान हुई थीं:

    • माधवराव प्रथम की मृत्यु के बाद, मराठा शिविर में संघर्ष हुआ। नारायणराव पेशवा बनने की राह पर थे, हालांकि, उनके चाचा रघुनाथराव ने भी पुजारी बनना चाहा।
    • इसलिए, अंग्रेजों के हस्तक्षेप के बाद, सूरत संधि पर 1775 में हस्ताक्षर किए गए थे। संधि के अनुसार, रघुनाथराव ने सालसेट और बेससीन के बदले में 2500 सैनिकों को अंग्रेजों को दे दिया।
    • वारेन हेस्टिंग्स के तहत, ब्रिटिश कलकत्ता परिषद ने इस संधि को रद्द कर दिया और पुरंदर संधि 1776 में कलकत्ता परिषद और एक मराठा मंत्री, नाना फड़नवीस के बीच संपन्न हुई।
    • नतीजतन, केवल रघुनाथराव को पेंशन प्रदान की गई और अंग्रेजों ने सालसेट को बरकरार रखा।
    • लेकिन बंबई के ब्रिटिश प्रतिष्ठान ने इस संधि का उल्लंघन किया और रघुनाथराव को ढाल दिया।
    • 1777 में, नाना फडणवीस ने कलकत्ता परिषद के साथ अपनी संधि के खिलाफ जाकर फ्रांस के पश्चिमी तट पर एक बंदरगाह प्रदान किया।
    • इसने अंग्रेजों को पुणे भेजने के लिए नेतृत्व किया। पुणे के पास वडगाँव में एक लड़ाई हुई जिसमें महादजी शिंदे के अधीन मराठों ने अंग्रेजी पर एक निर्णायक जीत का दावा किया।
    • 1779 में, अंग्रेजों को वाडगांव संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था।
    • एंग्लो-मराठा युद्धों के अंत में, सालबाई की संधि 1782 में संपन्न हुई जिसने Indian history in Hindi में एक घटनापूर्ण मील का पत्थर बनाया।

    मुगल साम्राज्य के तहत व्यापार का विकास

    मुगल साम्राज्य का उदय भारतीय इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। मुगल साम्राज्य के आगमन से भारत में आयात और निर्यात में वृद्धि हुई। विदेशी लोग व्यापार के लिए भारत आने लगे जैसे डच, यहूदी, ब्रिटिश।

    मुगल साम्राज्य के तहत कला और वास्तुकला

    भारतीय ऐतिहासिक स्मारकों का ढेर मुगलों के शासनकाल के दौरान बनाया गया और भारतीय इतिहास का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया। यहां मुगल साम्राज्य के तहत लोकप्रिय कला और वास्तुकला का एक सारांश है:

    • मुगल बहते पानी के साथ उद्यान बिछाने के शौकीन थे। मुगलों के कुछ बाग कश्मीर के निशात बाग, लाहौर के शालीमार बाग और पंजाब के पिंजौर के बाग़ में हैं।
    • शेरशाह के शासनकाल के दौरान, बिहार के सासाराम में मकबरा और दिल्ली के पास पुराण किला बनाया गया था।
    • अकबर की सुबह के साथ, व्यापक पैमाने पर इमारतों का निर्माण शुरू हुआ। कई किले उसके द्वारा डिजाइन किए गए थे और सबसे प्रमुख आगरा का किला था। इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया था। उनके अन्य गढ़ लाहौर और इलाहाबाद में हैं।
    • दिल्ली में प्रसिद्ध लाल किला का निर्माण शाहजहाँ ने अपने रंग महल, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़वासस्व के साथ करवाया था।
    • फतेहपुर सीकरी में एक महल सह किला परिसर भी अकबर (विजय शहर) द्वारा बनाया गया था।
    • इस परिसर में कई गुजराती और बंगाली शैली की इमारतें भी पाई जाती हैं।
    • उनकी राजपूत माताओं के लिए, संभवतः गुजराती शैली की इमारतों का निर्माण किया गया था। इसमें सबसे राजसी संरचना जामा मस्जिद और इसके प्रवेश द्वार है, जिसे बुलंद दरवाजा या बुलंद गेट के रूप में जाना जाता है।
    • प्रवेश द्वार की ऊंचाई 176 फीट है। इसे गुजरात पर अकबर की जीत की याद में बनाया गया था।
    • जोधाबाई का महल और पांच मंजिला पंच महल फतेहपुर सीकरी की अन्य महत्वपूर्ण इमारतें हैं।
    • हुमायूं का मकबरा दिल्ली में अकबर के शासन के दौरान बनाया गया था, और इसमें संगमरमर का एक विशाल गुंबद था।
    • अकबर का मकबरा आगरा के पास सिकंदरा में जहाँगीर ने बनवाया था।
    • आगरा में इतमाद दौला के मकबरे का निर्माण नूरजहाँ ने करवाया था।
    • ताजमहल का निर्माण यह पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना था, जिसमें अर्ध-कीमती पत्थरों से बनी दीवारों पर पुष्प डिजाइन थे। शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान, यह विधि अधिक लोकप्रिय हो गई।शाहजहाँ द्वारा निर्मित, ताजमहल को इतिहास के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है। इसके निर्माण के लिए, पिएट्रा ड्यूरा प्रक्रिया का व्यापक स्तर पर उपयोग किया गया था। इसमें उन सभी स्थापत्य रूपों को शामिल किया गया है जो मुगलों ने बनाए थे। ताज की मुख्य महिमा विस्तृत गुंबद और चार पतला मीनारें हैं जिनकी सजावट को न्यूनतम रखा गया है।

    अवध का इतिहास

     

    • अवध उत्तर भारत का ऐतिहासिक क्षेत्र था, जो अब उत्तर प्रदेश राज्य का उत्तर-पूर्वी भाग है। इसने अपना नाम कोसला की राजधानी अयोध्या साम्राज्य से लिया और 16 वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गया।
    • 1800 में, ब्रिटिश ने अपने साम्राज्य के हिस्से के रूप में खुद को अधीन कर लिया। 1722 ई। में अवध का सूबा आजाद हुआ, मुग़ल सम्राट मुहम्मद शा ने एक फ़ारसी शिया को सआदत ख़ान को अवध का गवर्नर नियुक्त किया।
    • सआदत खान ने सैय्यद भाइयों को उखाड़ फेंकने में मदद की। सआदत खान को राजा द्वारा नादिर शाह के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था ताकि वह शहर को नष्ट करने और बड़ी राशि के भुगतान के लिए अपने देश लौटने के लिए इच्छुक हो सके। जब नादिर शाह वादा किए गए धन को पाने में विफल रहे, तो उनका गुस्सा दिल्ली के लोगों ने महसूस किया। उन्होंने एक सामान्य वध का आदेश दिया था। सआदत खान ने अपमान और शर्म के कारण आत्महत्या कर ली।

इतिहास के प्रकार

इंडियन हिस्ट्री इन हिंदी में इतिहास के प्रकारों की सूची नीचे दी गई है:

  • राजनीतिक इतिहास
  • सामाजिक इतिहास
  • साँस्कृतिक इतिहास
  • धार्मिक इतिहास
  • आर्थिक इतिहास
  • संवैधानिक इतिहास
  • राजनयिक इतिहास
  • औपनिवेशक इतिहास
  • संसदीय इतिहास
  • सैन्य इतिहास
  • विश्व का इतिहास
  • क्षेत्रीय इतिहास

इंडियन हिस्ट्री बुक्स इन हिंदी

इंडियन हिस्ट्री बुक्स की सूची नीचे दी गई है:

किताब  लेखक 
भारतीय संस्कृति और आधुनिक जीवन शिव प्रकाश सिंह
भारत गाँधी के बाद रामचंद्र गुहा
हिंदुत्व विनायक दामोदर सावरकर
इमरजेंसी की इनसाइड स्टोरी कुलदीप नैयर
भारत का प्राचीन इतिहास राम शरण शर्मा
भारतीय कला एवं संस्कृति नितिन सिंघानिया
भारतीय संविधान डॉ बी आर अम्बेडकर
द लास्ट मुग़ल (2006) विलियम डालरिम्पल
डेज ऑफ़ लोंगिंग (1972) कृष्णा बलदेव वैद
कास्ट, क्लास और पावर (1965) आंद्रे बेटेल्ले

FAQs

भारत की सभ्यता कितनी पुरानी है?

भारत की सभ्यता को लगभग 8,000 साल पुरानी माना जाता है।

भारतवर्ष का नाम भारत क्यों पड़ा?

माना जाता है की ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर भारत नाम पड़ा।

इतिहास में कितने काल है?

4

इतिहास को कितने काल खंडों में बांटा गया है?

तीन
प्राचीन काल 
मध्यकालीन काल
आधुनिक काल

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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