बारिश के मौसम में पशुपालक पशु आवास में विशेष सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करें :- संयुक्त निदेशक डॉ० छोटूलाल बैरवा,Cleanliness system in animal shelter
– बिजली गिरने के खतरे को देखते हुए अपने अमूल्य पशु को खुले आकाश में न बांधे
(शिवराज बारवाल मीना)
टोंक।स्मार्ट हलचल/बारिश के मौसम में जिले के पशुपालकों के अमूल्य पशुओं के साथ किसी भी प्रकार की वर्षा जनित दुर्घटना नहीं हो इसके लिए पशुपालन विभाग प्रो-एक्टिव एप्रोच एवं अर्ल्ट मोड़ पर रहकर कार्य कर रहा है।
पशुपालन विभाग टोंक के संयुक्त निदेशक डॉ० छोटूलाल बैरवा ने बताया कि जिला कलेक्टर डॉ० सौम्या झा एवं विभागीय उच्चाधिकारियों के निर्देश पर पशुपालन विभाग द्वारा जिले के पशुपालकों को वर्षा ऋतु के मौसम में पशुओं की विशेष देखभाल करने की सलाह दी जा रही है। संयुक्त निदेशक ने बताया कि पशुपालक को किसी भी समस्या के लिए परेशान नहीं होना पड़े, इसके लिए ब्लॉक के समस्त पशुचिकित्सकों एवं पशुधन सहायकों को पशुओं में वर्षा जनित बीमारियों के बचाव के लिए टीकाकरण करने एवं चिकित्सालय में आपात स्थिति में आने वाले पशुओं का बेहतर उपचार करने के निर्देश दिए गए है। उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जिले के सभी पशुचिकित्सालयों का औचक निरीक्षण कर ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को चिकित्सालयों की आपातकालीन व्यवस्थाओं को अलर्ट मोड़ पर रखने के लिए लगातार निर्देश प्रदान किए जा रहे है।
——– वर्षा जनित रोगों एवं अन्य पशु हानि से बचाव के लिए यह उपाय करें पशुपालक ——–
जिले में वर्षा ऋतु को देखते हुए संयुक्त निदेशक डॉ० छोटूलाल बैरवा ने पशुपालकों को उनके अमूल्य पशुओं को वर्षा जनित रोगों एवं हादसों से बचाने की सलाह दी है। संयुक्त निदेशक ने कहा कि बरसात के सीजन में पशुओं में मौसमी बीमारी फैलने का खतरा अधिक रहता है, इसलिए जिले के पशुपालक गांव या आसपास के पशु चिकित्सालय में गाय-भैंस में गलघोटू का टीकाकरण अवश्य करवाएं। पशुपालक अपने पशुओं को बरसात के मौसम में घर पर ही बांध कर रखें, ताकि पशुओं पर बिजली गिरने का खतरा नहीं रहे। पशुओं को बिजली के पोल या पोल के स्टेग वायर से नहीं बांधे। इससे पशु में करंट आने का खतरा बना रहता है। वर्षा ऋतु में पशुओं को साफ पानी पिलाना चाहिए। बारिश के मौसम में पशुओं को मक्खी-मच्छरों के प्रकोप एवं चर्म रोग से बचाने के लिए प्रतिदिन साफ पानी से नहलाना चाहिए। पशु के शरीर पर मक्खी-मच्छर नहीं काटे, इसके बचाव के लिए तेल की मालिश करनी चाहिए। इसके साथ ही, पशुपालक अपने पशुओं को नदी, तालाब, बांध, नहरें, कुएं एवं गहरे बहाव वाले पानी में नहीं लेकर जाए।