होने लगी गेहूं चने की बुवाई, खेतों में गूंजने लगा ट्रैक्टरों का शोर
संजय चौरसिया
हरनावदाशाहजी। स्मार्ट हलचल|बेमौसम हुई बरसात के बाद अब मौसम साफ होते ही खेतों में फिर से रौनक लौट आई है। खेतों में नमी बनी रहने से किसानों ने गेहूं की बुवाई युद्धस्तर पर शुरू कर दी है। सुबह से लेकर देर रात तक खेतों में ट्रैक्टरों की आवाज गूंज रही है। किसान खेत जोतने व बीज डालने में पूरी तरह व्यस्त दिखाई दे रहे हैं।
किसान भंवरलाल कुशवाह का कहना है कि इस बार मौसम की मेहरबानी से बुवाई का कार्य समय पर शुरू हो पाया है। पिछले कुछ वर्षों में बरसात की अनियमितता के कारण बुवाई में देरी होती थी, लेकिन इस बार पर्याप्त नमी और अनुकूल तापमान से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार नवंबर के पहले पखवाड़े को गेहूं की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है।
खेतों में ही गुजर रहीं किसानों की रातें
रबी फसलों की बुवाई के साथ ही किसानों की रातें अब खेतों में बीत रही हैं। फसलों की सुरक्षा को लेकर किसान खेतों में ही डेरा डालने लगे हैं। सर्दी भले अभी हल्की हो, लेकिन देर रात खेतों में खुले आसमान तले रहना किसानों की मजबूरी बन गया है।
क्षेत्र के कई गांवों में निराश्रित मवेशी और वन्य जीव खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। दिन में इनकी संख्या कम रहती है, पर रात होते ही झुंड के रूप में फसलों को रौंद देते हैं। इससे बचाव के लिए किसान प्लास्टिक, टाट और तिरपाल से बनी टापरियों में रात गुजार रहे हैं।
अनुकूल मौसम से बढ़ी उम्मीदें
कृषि विभाग के अधिकारियों पुष्पेन्द्र नागर ने बताया कि इस बार यदि मौसम इसी तरह अनुकूल बना रहा तो क्षेत्र में गेहूं की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल सकती है। समय पर बुवाई और उचित तापमान उत्पादन बढ़ाने के प्रमुख कारक माने जाते हैं। किसानों का कहना है कि यदि सरकार की ओर से बीज, खाद और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था रहे तो इस बार क्षेत्र में रिकॉर्ड उत्पादन संभव है।
भरपूर पानी से बढ़ा जोश
इस वर्ष क्षेत्र में हुई अच्छी बरसात से कुओं व जलाशयों का जलस्तर काफी बढ़ गया है। इससे किसानों में रबी फसलों, विशेषकर लहसुन की बुवाई को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। लहसुन की फसल में 5–6 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है, और जल उपलब्धता बेहतर रहने से किसानों को पूरे सीजन पानी की कमी का डर नहीं है।
महिलाएं कर रहीं लहसुन बुवाई में अहम भूमिका
खेतों में लहसुन बुवाई से पहले किसान गोबर खाद डालने के साथ 3–4 बार ट्रैक्टर से जुताई करते हैं। इसके बाद बीज उपचार कर बुवाई की जाती है और हल्की सिंचाई की जाती है। महिलाएं बुवाई कार्य में अहम भूमिका निभा रही हैं। उनकी कल्लियां लगाने की गति और सफाई के कारण किसान महिलाओं से ही बुवाई करवाना पसंद करते है।


