कृष्ण गोपाल शर्मा
आमेसर । राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल ही में स्पष्ट निर्देश दिए कि अब मकानों से ऊँची सड़कें नहीं बनाई जाएंगी, और इसके लिए ‘मिल एंड फिल’ पद्धति लागू की गई है। लेकिन भीलवाड़ा जिले के आमेसर गांव में ग्राम पंचायत इस नीति की सरेआम धज्जियां उड़ा रही है। यहाँ पुरानी सड़क पर ही नई परत चढ़ाई जा रही है, जिससे सड़क का लेवल मकानों से काफी ऊपर हो गया है। इससे मकानों में बारिश का पानी भरने, दीवारों के दबने और नींव के कमजोर होने की गंभीर समस्या पैदा हो गई है।
मकानों की नींव संकट में, ग्रामीणों में रोष
ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा – “जब मुख्यमंत्री खुद कह चुके हैं कि पुरानी सड़क हटाकर ही नई बनेगी, तो ग्राम पंचायत उल्टा काम क्यों कर रही है?”
नियमों की अनदेखी और आरोप
ग्रामीण सुवालाल लौहार ने बताया कि “यह सड़क नरेगा से बननी थी, लेकिन इसे ग्राम पंचायत और उसके दलाल बंगाली कारीगरों से बनवाया जा रहा है, जो पूरी तरह नियमों के खिलाफ है।” स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सब स्थानीय सरपंच की मिलीभगत से हो रहा है।
प्रशासन से भी मिली निराशा
मोहल्लेवासियों ने जब ग्राम सचिव को कॉल किया, तो फोन किसी अन्य व्यक्ति ने उठाया और कहा “सड़क तो ऐसे ही बनती है।”
BDO (खंड विकास अधिकारी) को कॉल किया गया, जिन्होंने केवल इतना कहा —“मैं JTO को भेजता हूँ।”
ग्रामीणों ने पूछा —“जब सड़क बन जाएगी तो क्या उसे तोड़ेंगे? या फिर ये सब हमारे मकान दबाने की साजिश है?”
मुख्यमंत्री की नीति क्या कहती है?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 5 जून को ऐलान किया था — “अब मकान से ऊँची सड़क नहीं बनेगी।”
नगरीय विकास विभाग द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि — “नई परत डालने से पहले पुरानी सड़क को पूरी तरह हटाना अनिवार्य होगा।” राज्य की 45% सड़कों का नवीनीकरण ‘मिल एंड फिल’ तकनीक से किया जाएगा।
अब जनता पूछ रही है: क्या गांवों तक पहुंचेगी नीति की सुध?
गांव के नागरिकों का कहना है कि अगर जल्द काम नहीं रोका गया और नीति का पालन नहीं हुआ, तो वे प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे और आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
मुख्यमंत्री के इरादे भले नेक हों, लेकिन जब तक ज़मीनी अमला और पंचायतें जिम्मेदारी नहीं निभाएंगी, तब तक आमजन के मकान इसी तरह दबते रहेंगे।