• राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय की अनूठी पहल: सरकारी स्कूलों का माहौल बदलने पर जोर
• चित्तौड़गढ़ से जिलाध्यक्ष सहित वरिष्ठ शिक्षकों ने लिया भाग
पुष्कर/चित्तौड़गढ़ (स्मार्ट हलचल)सरकारी विद्यालयों में शैक्षिक और सांस्कृतिक माहौल को बदलकर उन्हें ‘तीर्थ’ जैसा पवित्र बनाने के उद्देश्य से राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय की दो दिवसीय प्रदेश स्तरीय कार्यशाला सोमवार, 8 दिसंबर को तीर्थराज पुष्कर (अजमेर) में शुरू हुई।
मैकाले की पद्धति ने बनाया धनोपार्जन का लक्ष्य: पुरोहित
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अतिरिक्त महामंत्री मोहन लाल पुरोहित ने कहा कि मैकाले की शिक्षा पद्धति ने शिक्षा का लक्ष्य केवल पैसा कमाना बना दिया, जिससे व्यक्ति में राष्ट्रहित का भाव कम हो गया।
“विद्यालय केवल एक भवन नहीं और शिक्षक केवल वेतन भोगी कार्मिक नहीं है, वह राष्ट्र निर्माता है। इसी भाव को जगाने के लिए संगठन ने ‘हमारा विद्यालय हमारा तीर्थ’ प्रकल्प चलाया है।”
‘आया सो पाया’ नहीं, ‘चाहा जो बनाया’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य हनुमान सिंह राठौड़ ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि शिक्षकों को “आया सो पाया” के स्थान पर “चाहा जो बनाया” के सूत्र पर काम करना होगा। उन्होंने विद्यालय के भौतिक परिवेश में सुधार, नवीन निर्माण और आदर्श प्रार्थना सभा के माध्यम से विद्यालय को तीर्थ बनाने के व्यावहारिक उपाय बताए।
चित्तौड़गढ़ से इनकी रही भागीदारी
जिला अध्यक्ष पूरण मल लौहार और जिला मंत्री कैलाश चंद्र मालू के अनुसार, इस कार्यशाला में जिले से निम्न प्रतिनिधियों ने भाग लिया:
- प्रकाश चंद्र बक्शी (प्रकोष्ठ सदस्य)
- पूरण मल लौहार (जिला अध्यक्ष)
- दिनमान वशिष्ठ (उपशाखा अध्यक्ष, भदेसर)
- लोकेश सोनी (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, भदेसर)
इनका मिला समर्थन:
इस संकल्पना का समर्थन करते हुए जिले के वरिष्ठ पदाधिकारी हेमंत शर्मा, डॉ. हीरा लाल लुहार, मदन लाल जोशी, पवन शेखावत, रमेश चंद्र पुरोहित, नर्बदा शंकर पुष्करणा सहित जिला कार्यकारिणी के अनेक सदस्यों ने इसे देश निर्माण में महत्वपूर्ण बताया।


