(हरिप्रसाद शर्मा)
अजमेर/स्मार्ट हलचल|उर्स मेले की आड़ लेकर दरगाह क्षेत्र और उसके आसपास अवैध व निर्माणाधीन भवनों पर की गई अस्थायी सीज कार्रवाई अब सवालों के घेरे में आ गई है। आरोप है कि यह कार्रवाई अवैध निर्माण रोकने के बजाय निगम अधिकारियों के लिए कमाई का जरिया बनती जा रही है।
उर्स से पहले अजमेर नगर निगम ने दरगाह व आसपास के संवेदनशील क्षेत्रों में कई निर्माणों को नियमों के उल्लंघन के चलते अस्थायी रूप से सीज किया था। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कई स्थानों पर सीज तोड़कर या मिलीभगत से भवनों को दोबारा खोल दिया गया और उनका उपयोग भी शुरू कर दिया गया।
सीज के बाद भी खुले भवन
दरगाह से सटी फूल गली में मोहम्मद इरफान और नहर मोहल्ला क्षेत्र में भारत सोमानी द्वारा अपने-अपने अस्थायी सीज किए गए भवनों को खोलकर इस्तेमाल में लेने के मामले सामने आए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सीज के बावजूद न तो निगरानी हुई और न ही दोबारा कोई सख्त कार्रवाई।
सवालों के घेरे में निगम की कार्रवाई
अगर भवन सीज थे तो वे खुले कैसे?
क्या बिना अधिकारियों की जानकारी के सीज हटना संभव है?
क्या ‘अस्थायी सीज’ का इस्तेमाल दबाव और सौदेबाज़ी के लिए किया जा रहा है?
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि स्थायी सीज या ध्वस्तीकरण जैसी ठोस कार्रवाई के बजाय अस्थायी सीज कर मामला “लटका” दिया जाता है, ताकि बाद में कथित रूप से लाभ लेकर आंख मूंद ली जाए।


