बाड़मेर/जैसलमेर, 2 अगस्त 2025: स्मार्ट हलचल|बाड़मेर-जैसलमेर बालोतरा लोकसभा सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने जैसलमेर जिला कलेक्टर प्रताप सिंह पर भ्रष्टाचार, सीलिंग एक्ट उल्लंघन और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर आरोप लगाते हुए केंद्र और राज्य सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। शनिवार को सासंद सेवा केन्द्र बाड़मेर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में बेनीवाल ने कलेक्टर पर कॉर्पोरेट कंपनियों के हित में काम करने, रक्षा मंत्रालय की जमीनों के अवैध हस्तांतरण, और प्रशासनिक अधिकारियों पर अनुचित दबाव बनाने जैसे सनसनीखेज आरोप लगाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन मामलों में त्वरित और सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह सीमावर्ती क्षेत्र की राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासनिक विश्वसनीयता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
सांसद बेनीवाल ने कहा कि जैसलमेर जैसे संवेदनशील सीमावर्ती जिले में कलेक्टर पर बार-बार प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में पोकरण के उपखंड अधिकारी प्रभजोत सिंह गिल और हाल ही में तहसीलदार विश्व प्रकाश चारण ने कलेक्टर प्रताप सिंह पर भ्रष्टाचार, सीलिंग एक्ट उल्लंघन, और रक्षा मंत्रालय की जमीन को निजी कंपनियों को सौंपने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके बावजूद, सरकार ने कलेक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि इन आरोपों को उजागर करने वाले अधिकारियों को निलंबित या एपीओ कर दिया गया। बेनीवाल ने सवाल उठाया, “ईमानदारी दिखाने वाले अधिकारियों को दंडित किया जा रहा है, जबकि आरोपों से घिरे कलेक्टर सुरक्षित क्यों हैं? क्या जैसलमेर में प्रशासनिक भ्रष्टाचार को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है?”
इससे पहले भी जैसलमेर जिले में दो तहसीलदार भणियाणा व फतेहगढ़ 60 लाख रुपए की रिश्वत के एवज में 15 लाख रूपए लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हो चुके हैं लेकिन उस जांच में जिला कलेक्टर की भूमिका को लेकर भी कोई जांच नहीं हुई है। यह तीसरी बड़ी घटना है पहले पोकरण उपखंड अधिकारी पर जिला कलेक्टर ने अनैतिक दबाव बनाया जब उन्होंने जिला कलेक्टर का कहना नहीं माना तो उनको वहां से हटा दिया गया और अब तहसीलदार जो कंपनियों के अवैध कब्जे को हटाने के लिए गए थे तो जिला कलेक्टर सहित ऊपर के अधिकारी नाराज हो गए और वह अधिकारी चाहते हैं कि वह जनता के हित में कामना करके खाली कंपनी के लिए काम करें इस तरीके का दबाव पिछले 1 साल से अधिकारियों पर बनाया जा रहा था उन्हें पहले 17 सीसी का नोटिस दिया उसके बाद APO कर दिया गया।
● आरोपों का ब्यौरा: भ्रष्टाचार से राष्ट्रीय सुरक्षा तक खतरा
बेनीवाल ने प्रेस वार्ता में बताया कि कलेक्टर पर रक्षा मंत्रालय की जमीन की किस्म बदलने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों पर दबाव डालने का आरोप है। इसके अलावा, आगोर, गोचर भूमि, परंपरागत जलस्रोत, तालाब, आबादी, और ओरण जैसी सरकारी जमीनों को कॉर्पोरेट कंपनियों को सौंपने के भी आरोप लगे हैं। सांसद ने कहा, जैसलमेर जिला कलेक्टर सरकार से ज्यादा कॉर्पोरेट कंपनियों के प्रतिनिधि की तरह काम कर रहे हैं। यह न केवल प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी है।
उन्होंने यह भी उजागर किया कि बाड़मेर और जैसलमेर में सोलर और विंड एनर्जी कंपनियों की गतिविधियों के कारण स्थानीय किसानों और ग्रामीणों को उचित मुआवजा नहीं मिल रहा। सांसद ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी इन कंपनियों के ‘मुनीम’ बनकर काम कर रहे हैं और सरकारी आदेशों की अवहेलना हैं।
● पिछले मामलों का हवाला: बाड़मेर में भी उल्लंघन
सांसद बेनीवाल ने बाड़मेर जिले के गडरा रोड और रामसर क्षेत्र में कार्यरत पूर्व उपखंड अधिकारी अनिल जैन द्वारा सीलिंग एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के उल्लंघन के मामलों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बाहरी और संदिग्ध व्यक्तियों को जमीन बेचने के प्रकरण सामने आए हैं, जिनकी निष्पक्ष जांच अब तक नहीं हुई। बेनीवाल ने इन सभी मामलों की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसी अनियमितताएं देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
● सरकार पर सवाल: मौन और मेहरबानी क्यों
सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि जैसलमेर और बाड़मेर में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की निष्पक्ष जांच कराई जाए। उन्होंने सवाल उठाया, “जब प्रशासन के भीतर से ही अधिकारी कलेक्टर पर सवाल उठा रहे हैं, तो सरकार की चुप्पी क्या दर्शाती है? क्या यह राजनीतिक संरक्षण का मामला है?”
● पर्यावरण और विकास पर चिंता
सांसद बेनीवाल ने सोलर और विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स के नाम पर हो रही अनियंत्रित गतिविधियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की अनदेखी और ग्रामीणों के हितों की उपेक्षा से क्षेत्र का दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि सोलर प्लांट्स के लिए पर्यावरणीय मानकों का कड़ाई से पालन हो और प्रभावित ग्रामीणों को उचित मुआवजा दिया जाए।
बेनीवाल ने पर्यावरण पर भी चिंता जताई, कहा कि सोलर प्लांट्स के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से तापमान वृद्धि और पर्यावरणीय संकट का खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने मांग की कि सोलर प्लांट्स के लिए 25% क्षेत्र ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित किया जाए और सरकार इस संबंध में नीति बनाए।
सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने कहा बाड़मेर और जैसलमेर जैसे सीमावर्ती जिले में भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को तत्काल उच्च स्तरीय जांच शुरू करनी चाहिए, वरना यह प्रशासनिक व्यवस्था की साख और देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनेगा।
सांसद बेनीवाल ने पहले भी जैसलमेर कलेक्टर पर प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। 20 अप्रैल 2025 को जैसलमेर में आयोजित हुई जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक को लेकर कलेक्टर पर पक्षपात और उनकी अनुपस्थिति में बैठक आयोजित करने का आरोप लगाया था। इसके अलावा, बाड़मेर में सोलर और विंड एनर्जी कंपनियों के मनमाने रवैये पर भी बेनीवाल ने जिला कलेक्टर टीना डाबी से शिकायत की थी।
सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल के इन आरोपों ने जैसलमेर और बाड़मेर में प्रशासनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अब देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।